उतरौला(बलरामपुर) चार मुहर्रम सुभाष नगर स्थित ईमाम बारगाह मरहूम सैय्यद रफ़ी आबिद जाफ़री में एक मजलिसे अज़ा का आयोजन किया गया
मजलिस को मौलाना सिब्ते हैदर साहब ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मुहम्मद मुस्तफ़ा ने इरशाद फ़रमाया कि मेरा हुसैन मुझसे है और मै अपने हुसैन से हूं अब नवासे का नाना से होना तो समझ में आता है,पर नाना नवासे से कैसे हो सकता है?
मौलाना ने आगे कहा कि कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने अपने साथियों के साथ शहीद होकर दीने इस्लाम को बचा लिया और अपने नाना की इस बात को सही साबित कर दिया कि नाना भी नवासे से हो सकता है
अंत में उन्होंने इमाम हुसैन और उनके साथियों की मुसीबत का ज़िक्र किया तो लोगों की आंखें आंसुओं से भर आईं
इस अवसर पर हसनैन आब्दी,वारिस रिज़वान,फ़ज़ले अली,अनीस उतरौलवी,अली अब्बास,हिलाल रिज़वी,इमरान जाफ़री,शुजा उतरौलवी,शारिब रिज़वी,सलमान जाफ़री,आरीश रिज़वी,फैसल जाफ़री,राशिद रिज़वी,मोनिस जाफ़री,अली नवाज़ रिज़वी,ज़ैन जाफ़री मौजुद रहे।
उतरौला से
असगर अली
की रिपोर्ट
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