आगरा। वर्तमान में यूनिफॉर्म सिविल कोड के विषय पर पूरे देश में चर्चाएं हो रही हैं। इस पर मंथन होना ही चाहिए, किंतु हमारा संविधान स्पष्ट करता है कि सबको समानता का अधिकार मिलना चाहिए।
शार्ट फ़िल्म निर्माता,समाजिक चिंतक एवं वरिष्ठ समाजसेवी सावन चौहान ने इस सन्दर्भ में कहा कि भगवान ने सबको एक समान जीवन और जीवनशैली दी है। इसके बावजूद पुरुष सत्तात्मक युग में अत्याचार हुए और दुर्भाग्य से आज भी हो रहे हैं। इन पर रोक लगाने के लिए भारत में समान नागरिक संहिता का होना अत्यंत आवश्यक है। समाज के प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि इस संहिता के हर बिंदु को गहराई समझें, ताकि कोई उन्हें अपनी राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक हित के लिए बरगला न सके। इसलिए देश में एकरूपता लाने के लिए समान नागरिक संहिता जरूरी हैं। इसे मजहब के चश्मे से न देखें। कानून और धर्म दो अलग-अलग पहलू हैं। इनका आपस में सामाजिक रूप से संबंध हो सकता है, लेकिन कानूनी रूप से कोई संबंध नहीं हो सकता। व्यक्तिगत कानून में एकरूपता लाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और भारतीय संविधान इसका प्रविधान करता है। धर्म और कानून, यह दोनों पृथक हैं। इनको आपस में जोड़कर जो भ्रम फैलाने के काम किए जा रहे हैं, वह गलत है। हमारे संविधान में विभिन्न धर्मों में अलग-अलग कानूनों का प्रविधान किया गया है, जिसमें एकरूपता लाने की आवश्यकता है। अनुच्छेद 25 समानता की बात करता है, लेकिन देश में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि समान नागरिक संहिता एक मजहब के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर देगी। ऐसा भ्रम फैलाया जाना ठीक नहीं है।
श्री चौहान ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी नागरिकों के लिए समान कानून होंगे फिर चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, समुदाय या क्षेत्र से हो। इससे देश के सभी नागरिक समान रूप से प्रभावित होंगे और देश के सभी नागरिकों के लिए नियम-कानून एक समान होंगे। समान नागरिक संहिता भारत को और मजबूत करेगी तथा यूसीसी से सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा। हमारा देश भारत सबसे पुराना, सबसे बड़ा, सबसे कार्यात्मक और जीवंत लोकतंत्र हैं। जो वैश्विक शांति और सद्भाव को स्थिरता दे रहा है। पुरे विश्व में हमारे देश की छवि एक धर्मनिरपेक्ष देश की है। ऐसे में कानून और धर्म का आपस में कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। सभी लोगों के साथ धर्म से परे जाकर समान व्यवहार लागू होना जरूरी है।यह कानून में भेदभाव या असंगति के जोखिम को कम करेगी। महिलाओं को समान हक मिलने से उनकी स्थिति में सुधार होगा। हर धर्म के अलग -अलग कानूनों से न्याय पालिका पर बोझ पड़ता है। कॉमन सिविल कोड देश की न्याय प्रणाली के लिए बेहतर साबित होगा। इसके लागू होने से सभी नागरिकों के लिए कानून में एकरूपता आएगी और इससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा। समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था रहेगी। समान नागरिक संहिता भारत और उसके राष्ट्रवाद को अधिक प्रभावी ढंग से बांधेगी और यूसीसी के कार्यान्वयन में कोई भी देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी। कॉमन सिविल कानून देश की न्याय प्रणाली और विकास एवं तरक्की के लिए बेहतर हैं। राष्ट्र में एकरूपता और समरसता लाने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी हैं। इसलिए समान नागरिक संहिता पर भ्रम फैलाया जाना ठीक नहीं हैं।
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