दान के संबंध में तुलसीदासजी ने लिखा है, बड़े भाग मानुष तन पावा। यह मानव कोई साधारण मानव नही है। वह हिमगिरि से उन्नत मानव, सागर से गहन गंबीर। मनुष्य के लिए इतनी प्रशंसा क्यों ? क्योंकि मानव ही दान दे सकता है। मनुष्य के महान कार्यों में दान एक है। यह दान कभी नष्ट नही होता। तभी तो कहा है- दानेन तुल्यो विधिरस्सित नान्यो । दान विभिन्न रूपों में संभव है। दान का व्यापक अर्थ किसी संगठन को जरूर नही धन का ही दान करना, दुनिया भर में हजारों धर्माथ संगठन है, आपको बस यह पता लगाने की जरूरत है कि कौन आपकी मदद का सबसे ज्यादा हकदार है।
दान कई प्रकार के होते हैं, किसी के अंधकारमय जीवन मे उजाला देना इससे बड़ा पुण्य का कार्य नही, मृत्यु से पहले कई लोग अपनी आँखें दान करने का फैसला लेते है, उनको मालूम है मृत्यु के बाद उनकी आँखें किसी के जीवन में उजाला देकर खुशियां देगी, दान अनेक प्रकार के होते है, जरूर नही आप अपना शरीर अपनी आँखें दान करके पुण्य कमाए, पक्षियों को दाना डालना, भूखे को रोटी ख़िलाना, प्यासे को पानी पिलाना, यह भी उच्च श्रेणी दानो में आता है।
संस्था के सदस्य शुभम बंसल ने बताया बेसहारा, बेघर, परिवरों तक लगातार मदद पहुँचा रहे आगरा दानपात्र टीम के युवा सदस्यों के माध्यम से गरीबो के चेहरो पर मुस्कुराहटें ख़िलने लगी, आगरा में दानपात्र की शुरुआत से कई गरीब परिवारों को राहत मिल रही हैं, लगातार जरूरतमंद परिवारों तक कपड़े, राशन, खिलौने, एवं अन्य जरूरत का सामान पहुँचाकर उनकी मदद की जा रही हैं साथ ही जल्द बच्चों को निःशुल्क शिक्षा भी दी जाएगी, आर्थिक परिस्थितियों के चलते जो बच्चे शिक्षा नही ले पा रहे है, वह दानपात्र की निःशुल्क पाठशाला के माध्यम से शिक्षा ले सकेंगे।
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