जौनपुर। व्यावसायिक बागवानी से युवा बन रहे आत्मनिर्भर

जौनपुर। बदलापुर विकास खण्ड क्षेत्र के लेदुका गांव निवासी महेश कुमार दुबे उर्फ रिंकू शिक्षक हैं। पर्यावरण को संरक्षित रखने में विशेष रूचि रखते हैं। महेश दूबे ने बताया कि बी. एड करते समय वर्ष 2006 में पर्यावरण विषय के कारण मन में अजूबे पौधों की खोज के प्रति जिज्ञासा बढ़ी तो खोजबीन शुरू किया। घर के समीप वाले खेत को बागवानी के लिए उत्तम बना दिया। फिर नेपाल के काठमांडू, गोरखपुर, नैनीताल, हरिद्वार, इलाहाबाद, कोलकाता आदि प्रमुख स्थानों  से पेड़ लाकर बागवानी का अंतिम रूप देने में जूट गए।
       
तेजपत्ता के पेड़ से ही छिलका (दालचीनी) , फूल (जावित्री) फल (जयफर) बाजार में आसानी से उंचे  दामों पर बेचा जा सकता है। इसके अलांवा कपूर का पेड़, रूद्राक्ष,  हिमालयन ड्राप,इलायची, लौंग, हींग , बाटलपाम, मालती, शमी, क्रिसमस ट्री, भूमी कमल, चंदन,  कंदमूल, मनीतारा, भामिनी, मनोकामिनी, चांदनी, मेटोनिया,  बांटलब्रास, अमलतास, हानी, अडेनियम, रेगिस्तानी गुलाब, नीलकंठ, एक्जोरा, रंगन, अपराजिता, राखी, टीकोमा, कलेड्रा,  बैजेतीं, सीता अशोक, डोमविया, गंधराज, आदि जैसे अजूबे पौधे देशी- विदेशी फूलों के पौधे बागवानी की शोभा बढ़ा रहे हैं। व्यावसायिक बागवानी का गुर सीख आत्मनिर्भर बनने के लिए युवा दूर- दूर से आते हैं।

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