दादा को इस दुनिया से रुखसत हुए 29 साल हो गए अब्दुल_खालिक_खां जंगे आजादी के एक सिपाही,गंगाजमुनी तहजीब के
ध्वजावाहक ,इंसानियत के
खिदमतगार,एक विद्वान,एक समाज सुधारक रहे हैं
जन्म 1-6-1921 मृत्य 3-3-1994
अब्दुल खालिक खां अंग्रेजी फौज में रंगून (मियांमार) में तैनात थे 1944 में जब नेता जी सुभाष चन्द्र बोष रंगून पहुंचे और भारतीयों से अंग्रेजी फौज से विद्रोह का आवाहन किया तो अब्दुल खालिक खां अंग्रेजी फौज से विद्रोह कर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए और आजादी मिलने तक संघर्ष करते रहे
आजादी मिलने के बाद दादा ने मैजापुर में कारखाने लगाये और कारोबार में हाथ आजमाया और काफी सफल रहे
उसके बाद अपनी पूरी जिंदगी आपसी भाईचारा सदभाव बढ़ाने व इंसानियत की भलाई के नाम पर समर्पित कर दी
दादा विद्वान थे और हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्म के पुस्तकों के ज्ञाता थे तो उनकी टीम भी विद्वान लोगों की थी
संछिप्त में कुछ बातों का जिक्र करना चाहता हूँ
अब्दुल खालिक खां को देश और दुनिया को जानने और और देश दुनिय में घट रहे घटना क्रम की जानकारी की बड़ी उत्सुकता रहती थी और उस पर नजर रहती थी और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते थे
उन्होंने लगभग देश के हर हिस्से का दौरा किया कश्मीर उनका पसंदीदा जगह थी गर्मी की एक महीना छुट्टी वही गुजारते थे उनके दुवारा लाये जाते ड्राई फ्रूट को जेब और बस्ते में रखकर हम सब स्कूल ले जाते और अपने सहपाठियों में बांटते थे वह बातें जहन में आज भी बिल्कुल ताजा हैं
दादा ने मिडिल ईस्ट के लगभग सभी अरब देशों,मिस्र,ईरान,ईराक,सीरिया,सऊदी अरबिया आदि का दौरा किया और वहां के कुछ हुक्मरानों से भी मुलाकात किया
जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति सदर नासिर से दादा की खत किताबत होती रहती थी उनके हस्तलिखित खत आज भी मौजूद हैं
राष्ट्रपति जाकिर हुसैन से दादा के रिश्ते बहुत अच्छे थे आज भी उनके द्वारा हाथ से लिखे खत जो राष्ट्रपित भवन से जारी होते थे वह भी महफूज रखा है
जब अमेरिका और वियतनाम के बीच युद्ध 1955-1975 नही रुक रहा था तमाम इंसानी जानें जा रही थीं तब अब्दुल खालिक ने अपने तमाम साथियों को बुलाया प्रधान दुर्गा सिंह जी,पण्डित बसंतलाल,ध्रुवराज सिंह,मगन सिंह प्रधान, रऊफ बाबा, आदि को बुलाया और शांति प्रस्ताव लिखा गया जिसमें सैकड़ों लोगों के दस्तखत हुए जिसकी ड्राफ्टिंग प्रधान मगन सिंह जी ने की जो आज भी जीवीत हैं
उक्त प्रस्ताव को बजरिये डाक सन्युक्त राष्ट्र संघ भेजा गया सन्युक्त राष्ट्र की आम सभा में उस प्रस्ताव को पढ़ा गया और संयुक्त राष्ट्र के मिनट बुक में दर्ज किया गया जिसे उस वक्त BBC रेडियो पर प्रसारित भी किया गया
जब ईरान और ईराक युद्ध 1980 -1988 नही रुक रहा था तब भी अब्दुल खालिक खां ने ईरान के राष्ट्रपति रूहोल्लाह खुमैनी व ईराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को जंग खत्म करने के लिए खत लिखा और मानवीय आधार पर जंग को रोकने की अपील की
वह मैजापुर बाजार में हर वर्ष एक मानव धर्म सम्मेलन करते और एक ही मंच पर हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मावलम्बी इकट्ठा होते और अपने विचार रखते एक बेहतरीन शमा होता
और उस दिन विशाल भंडारा/दावत होती लाउड स्पीकर से एक हफ्ते पहले 10 किलोमीटर के इलाके में एलान होता कि फलां दिन अब्दुल खालिक खां के यहां दावत/निमन्त्रण है
खाने में पूड़ी, सब्जी नुकती और नान की रोटी और चने की दाल रहती खाना दिन में 12 बजे से शुरू होता और रात के 12 बजे तक चलता
विदित हो आजकल ज्यादातर लोग दावत में सम्बन्धों को निभाने के लिए जाते है
लेकिन आज से 30,35,40 साल पहले लोग दावत के लिए 10 कोस पैदल चले जाते थे अधिकतर घरों पर भरपेट/अच्छा खाना बराबर उपलब्ध नही रहता था
अब्दुल खालिक खां की होली मिलन एक महीने चलता था वह भी खुद गांवों में जाकर
अब्दुल खालिक खां सैय्यद शुऐब बक़ाई साहब के दादा सैय्यद अब्दुल अलीम बक़ाई साहब व फजलुल बारी उर्फ बन्ने भाई के वालिद मास्टर इल्तिफ़ात साहब से बहुत प्रभावित थे दोनों लोग टॉमसन कालेज मैं लेक्चरार थे
उस वक्त वेश्यावृत्ति बहुत बड़ी सामाजिक बुराई थी जिस पर तीनों लोगो ने मिलकर बहुत बड़ा काम किया तमाम घरों को बसाया/ उनका निकाह कराया और बहुत सारी वेश्याओं को आर्थिक मदद देकर इस पेशे से आजाद कराया और उनको बाकायदा पेंशन बांध दी गयी
और सैय्यद अब्दुल अलीम बक़ाई साहब के मशवरे से अब्दुल खालिक खां ने मैजापुर में मस्जिद का निर्माण कराया चूंकि उस वक्त उस इलाके में दूर दूर तक कोई मस्जिद नही थी दादा बहुत ही नेक, परहेजगार,और गरीबों के पूरे जीवन हमदर्द और सहारा बने रहे
दादा को बच्चों से बहुत प्यार था वह हमेशा अपने सदरी के जेब में टॉफी रखते जहाँ जाते या रास्ता चलते हुए भी बच्चों को टॉफी बांटते रहते
आज उनको इस दुनिया से गए हुए 29 साल हो गए है लगता है कल की बात है युवा नेता
मसूद आलम खां
पौत्र अब्दुल खालिक खां
गोण्डा की कलम से सच्ची श्रद्धांजलि।
उमेश चन्द्र तिवारी हिंदी संवाद न्यूज 9129813351उत्तर प्रदेश
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know