उतरौला( बलरामपुर )फलों के राजा कहे जाने वाले आम की फसल ने किसानों के चेहरे पर रौनक बिखेर दी है। इस बारआम के पेड़ों पर आए बोर से बागवान काफी गदगद हैं। 
इस बार आम की फसल से मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है, आम के बौर से पेड़ झुक गए हैं ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक आम की बागवानी है। ज्ञात हो कि बसंत ऋतु के मौसम शुरू होते ही आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो जाता है आम की फसल की पैदावार करने वाले बागवानों ने उसकी देख रेख व पेड़ों में पानी वह दवाइयों का छिड़काव करना शुरू कर दिया है अब यदि मौसम ने साथ दिया तो  लोगों को भरपूर मात्रा में आम का स्वाद चखने को मिल सकेगा।कृषि विशेषज्ञ डा०जुगुल किशोर बताते हैं कि आम की बाग में जनवरी से लेकर मार्च के महीने तक जमीन से गुजिया कीट निकलकर पेड़ों पर चढ़ जाता है इन कीटों की संख्या से नुकसान हो सकता है क्योंकि यह कीट पेड़ पर चढ़कर पत्तियों और बौर का रस चूस कर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं प्रति बौर  पर कीट की ज्यादा संख्या होने से फल भी नहीं बन पाते हैं यही नहीं इन कीटों की वजह से पत्तियां और बौर चिपचिपा पदार्थ बढ़ता है जिससे फफूंद भी बढ़ने लगते हैं अगर यह कीट पत्तियों और बौर पर दिखाई दे तो इन्हें प्रबंधन के लिए कार्बोसल्फान 25 ई सी का दो मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें आम का भुनगा एक खतरनाक कीट  होता है जो आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है यह बौर कलियों और मुलायम पत्तियों पर एक एक कर अंडे देते हैं  शिशु अंडे से एक हफ्ते में बाहर आ जाते हैं बाहर आने पर शिशु और वॉ यस कीट आम के बौर पत्तियों और फलों के मुलायम हिस्सों से रस चूस लेते हैं इससे बौर नष्ट हो जाते हैं बाद में फल भी गिरने लगते हैं । फफूंदी सूंड़ी गोल्ड लग जाती है काली फफूंदी के लगने से पत्तियों में प्रकाश से लेसड़ की प्रक्रिया रुक जाती है वैसे तो साल भर भुन्गा कीट आम के बाग में देखे जाते हैं लेकिन फरवरी और अप्रैल माह के बीच इनका प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है अगर इस समय आपके बाग में भुन्गा कीट का प्रकोप दिखाई दे तो जल्द ही ई निहारक्लोपिड 03 मिली प्रति लीटर पानी और साथ में स्टीकर एक मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।ताकि आम की फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।

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