राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।।रंग, गुलाल और अबीर से एक-दूसरे को सराबोर करने की होड़ और होली के गीतों की मस्ती के साथ रंगों के त्यौहार ‘होली’ की धूम, लोगों के बीच देखने को मिल रही है। बरसाना और वृंदावन की कुंज गलियों में लोग, प्रिया और प्रियतम की मस्ती में मस्त होकर होली का आनंद ले रहे हैं।

बसंत पंचमी से ही ब्रज में होली का शुभारंभ हो जाता है। करीब 40 दिन तक चलने वाली ब्रज की होली का अंदाज ही निराला होता है। विश्व भर में एकमात्र, ब्रज ही ऐसी जगह है, जहां फूल, रंग, गुलाल, लड्डू, लठ्ठ आदि चीजों से होली खेली जाती है। यही वजह है कि इस अविस्मरणीय त्यौहार को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। मंदिरों में प्रिया-प्रियतम यानी राधा-कृष्ण तो होली खेलते ही हैं, साथ ही भक्त भी गुलाल के अनेक रंगों में सराबोर हो जाते हैं। खास तौर पर बरसाना, वृंदावन, मथुरा, नंदगांव और दाऊजी के मंदिरों में अलग-अलग दिनों पर होली, धूम-धाम से मनाई जाती है। मान्यता है कि फुलेरा दूज से फूलों की होली का आयोजन ब्रज के सभी प्रमुख मंदिरों में हो जाता है...

इस बार, फुलेरा दूज, 21 फरवरी 2023, यानी कि आज मनाई जाएगी। इस दिन, खास तौर पर बरसाना और वृंदावन के मंदिरों में फूलों की होली खेली जाती है। बरसाना के राधा रानी मंदिर में फुलेरा दूज के दिन, दिन भर फूलों की होली खेली जाती है। मंदिर के सेवायत, आने वाले भक्तों पर फूल बरसाते हैं। मंदिर में गुलाब और गेंदे के फूलों से होली खेली जाती है...

वहीं, वृंदावन की बात करें तो प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर, राधावल्‍लभ मंदिर सहित अन्‍य मंदिरों में फुलेरा दूज के दिन, गुलाल और फूलों की होली का आयोजन होता है। इन मंदिरों में वैसे तो रोजाना ही भक्‍तों पर गुलाल उड़ता है लेकिन इस दिन, विशेष रूप से होली का उत्सव मनाया जाता है। ऐसे में भक्‍त, मंगलवार के दिन वृंदावन पहुंचकर इस होली का आनंद उठा सकते हैं।

किशोरी श्याम गोस्वामी ने बताया कि कोरोना के बाद, बरसाना और वृंदावन में फिर एक बार दिखेगी होली की वही पुरानी तस्वीर और फूलों के संग उड़ेगा अबीर गुलाल।

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