रायबरेली 14 अक्टूबर 2022
महिला एवं पुरुष नसबंदी परिवार नियोजन के प्रमुख स्थायी साधन हैं | दंपति को उनका परिवार पूरा होने के बाद नसबंदी की सेवा अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि वह बच्चों की परवरिश सही तरीके से कर सकें, महिला का स्वास्थ्य बेहतर रहे और वह बिना किसी तनाव के वैवाहिक सुख का आनंद ले सकें लेकिन कभी-कभी किन्हीं कारणों से नसबंदी विफल भी हो जाती है | ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना के तहत मुआवजा राशि दिए जाने का प्रावधान है |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत महिला या पुरुष द्वारा नसबंदी की सेवा अपनाने के कारण उत्पन्न जटिलता, असफलता, मृत्यु के मामलों में मुआवजा राशि दी जाती है | नसबंदी के बाद अस्पताल या घर में अस्पताल से डिस्चार्ज के सात दिन के अंदर लाभार्थी की मृत्यु होने पर आश्रित को चार लाख रुपये दिये जाते हैं | आठ से 30 दिन के भीतर मृत्यु होने पर एक लाख रुपए की धनराशि दी जाती है |
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. ए के चौधरी ने बताया-किसी कारण से नसबंदी के फेल होने पर लाभार्थी को 60 हजार रुपया मुआवजा दिया जाता है | इसके लिए आवश्यक है कि नसबंदी असफल होने का पता चलने के 90 दिन के अंदर इसकी सूचना निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर दी जाये | इसके अलावा नसबंदी कराने के उपरांत कोई जटिलता आने पर 60 दिन के अंदर पास के स्वास्थ्य केंद्र पर सूचना देने पर अधिकतम 50 हजार रुपये या जो वास्तविक खर्चा होता है, दिया जाता है |
इसमें केंद्र के अंश के रूप में 60 प्रतिशत और राज्य के अंश के रूप में 40 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाता है |
परिवार नियोजन एवम लॉजिस्टिक प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि अप्रैल 2022 से अभी तक कुल 500 से अधिक महिलाओं ने एवम 7 पुरुषों ने नसबंदी की सेवा को अपनाया ।
लोग अब जागरुक हो रहे हैं और यह हमें आंकड़ों से दिखाई दे रहा है | स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी निरंतर समुदाय तक संदेश पहुँचा रहे हैं |
नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को 3,000 रुपए और महिलाओं को 2,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाति है |
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