आज रावण ने हड़ताल कर दी
यह घोषणा सरेआम कर दी ।
इस दशहरे पर मैं ना जलूँगा।
अत्याचारीयों के हाथों यूं ना मरूंगा।
मैंने सीता को चुराया,ये सच है।
लेकिन कभी हाथ न लगाया,
ये भी सच है।
अरे! यह गुनाह तो लोग सरेआम करते है।
मुझको तो बस यूं ही बदनाम करते हैं।
मुझे वही जलाएं जो स्वयं राम हो।
अन्यथा, ये अन्याय न मेरे साथ हो।
गली-गली में सीताये हैं नोची जा रही।
कही - कही तो अपने राम द्वारा ही बेची जा रहीं।
इन पापियों के हाथों मुझको जलवाते हो??
इनके हाथों से क्यों न सीताओं को बचाते हो?
सच कहता हूं।
मेरा भी खून खौल जाता है।
जब कोई सीता की अस्मत से खेल जाता है।
जी चाहता है इन सभी को जला डालूं।
मैं भी आज एक दशहरा मना डालूं।
🙏🙏🙏🙏🙏

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