- नालंदा में महिलाओं ने शुद्धता के साथ तैयार की गुड़ और चावल से बनी छठ मईया की विशेष खीर
- खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति सूर्यास्त से पहले तक पानी की एक बूंद तक ग्रहण नही करता - अश्विनी कुमार
नालंदा, बिहार। विवेक जैन।
आज नालंदा में छठ पर्व के दूसरे दिन खरना को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। घरों में गुड़ और चावल से बनी खीर का प्रसाद तैयार किया गया और शाम के समय विधि-विधान के साथ पूजन के उपरान्त परिवार के लोगों द्वारा प्रसाद को ग्रहण किया गया। नालंदा निवासी अश्विनी कुमार ने बताया कि छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय होता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन घरों में बड़ी शुद्धता के साथ छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल से बनी खीर की खास महत्ता होती है। बताया कि जो व्यक्ति छठ पूजा का प्रसाद बनाने में सहयोग करता है, उसके लिए लहसून, प्याज खाना वर्जित होता है। कहा कि खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति सूर्यास्त से पहले तक पानी की एक बूंद तक ग्रहण नही करता है। खरना के दिन शाम को भगवान सूर्य को प्रसाद अर्पित किया जाता है और उसके बाद खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। रसियाव रोटी, चावल का पिठ्ठा और घी लगी रोटी भी प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है। प्रसाद ग्रहण करने के उपरान्त व्रत रखने वाला व्यक्ति अगले 36 घंटो तक निर्जला व्रत रखते है और एक बूंद तक पानी नही पीते है। बताया कि मध्य रात्रि को ठेकुआ नाम का विशेष प्रसाद बनाया जाता है। रविवार को डूबते सूर्य को और सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
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