वास्तु तो राजा महाराजाओ की विद्या थी फिर हम क्यों वास्तु कराएं जानते हैं वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता
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जैसे नियमो के बिना शृस्टी नहीं चल सकती। छोटे से छोटे घर, गांव , शहर, देश, स्कूल, ऑफिस, फैक्ट्री को चलने के नियम होते है ठीक उसी प्रकार प्रकृति के कुछ नियमावली है आवास, निवास को लेकर। वास्तु प्राकृतिक नियम है जो हमें अपने जीवन को सुचारु रूप से जीने में सहायक है। सृष्टि में पंच महाभूत है जल , अग्नि , वायु , आकाश , पृथ्वी इन पाँचो तत्वों को बिना नुकसान पहुचाए या पीड़ा दिए जो निर्माण कार्य होता है वही सफल वास्तु निर्माण है। प्राकृतिक उर्जाओं अवा जाई में विघ्न न होने के कारण हम सब भौतिक सुखो को भोग पाते हैं और शांति एवं सम्पन्नता से रह पाते हैं। जीवन को सुचारु रूप से चलने का अधिकार हर आदमी को है चाहे वो राजा हो या आम प्रजा। राजाओं के पास अथा संपत्ति थी और उनको शासन करना था इसलिए वे वास्तु सम्मत ही निर्माण करना चाहते थे परन्तु इसका ये अर्थ बिलकुल नहीं है की अगर हमारे पास २ बेडरूम फ्लैट है तो उसे वास्तु सम्मत बनाने की आवस्यकता नहीं है। जीवन में उत्थान के लिए और साधारण आदमी से ऊंचा घराना बनने के लिए वास्तु एक सफल टूल है। एक साधारण सी बात है आपके अगर ४ स्टाफ है और कलको आपको अपने कंपनी का सर्वोच्य पद किसी एक को देना पड़ता है तो आप किसको देंगे - जो सबसे ज्यादा विश्वास पात्र होगा और आपके बनाये नियमावली को मानता होगा। प्रकृति हमारी माँ है, वो हमे हमेशा ही देना चाहती है। अब सोचिये वो किसे देगी ? जो माता के बनाये नियमो का उलंघन कर रे है उनको देगी या जो नियम को मान कर माता के कार्य में विघ्न नहीं खड़ा कर रहे है उनको देगी। अपात्र को कभी कुछ नहीं मिलता और प्रकृति के विरुद्ध काम कर के सम्पन्नता की अपेक्छा मात्र एक कल्पना है और सार्थक नहीं होती। वास्तु के नियमो का सम्मान करे और अध्यन भी करे। जितना जरुरी वास्तु एक शासक के लिए है उतना ही जरुरी हर मनुष्य के लिए भी है।
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