जौनपुर। आर्थिक रूप से जर्जर विश्वविद्यालय को बचाने के लिए जन-प्रतिनिधि करें सहयोग - डाॅ सलाउद्दीन
जौनपुर। नौ जनपदों में से मात्र दो जनपदों के सम्बद्ध महाविद्यालय पर आर्थिक रूप से आश्रित ‘’वीर बहादुर सिंह विश्वविद्यालय का कल और आज’’ शीर्षक पर हुसैनाबाद स्थित ‘शीराजे हिन्द सहयोग फाण्उडेशन जौनपुर के तत्वाधान में आयोजित विचार गोठी हुआ। जिसमें जनपद के जनप्रतिनिधियों से अनुरोध करते हुए फाउण्डेशन के अध्यक्ष डाॅ0 मोहम्मद सलाउद्दीन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पूर्वी परिक्षेत्र स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर उ0प्र0के अति पिछड़े क्षेत्र के गरीब, असहाय और साधनहीन छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा का न केवल आधार स्तम्भ है, बल्कि यहाँ पर संचालित इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संस्थान, फार्मेंसी संस्थान, व्यवसाय प्रबन्ध संस्थान, वैज्ञानिक अध्ययन-अध्यापन एवं शोध का पर्याय बन चुका प्रो0रज्जू भैया संस्थान, मास्टर इन बायोटेक्नाॅलाजी, एम0एच0आर0डी0, मास कम्युनिकेश, मास्टर इन एप्लाईड साइक्लाॅजी, एम0सी0ए0, एम0बी0ए0 फाईनेंस एण्ड कन्ट्रोल, बी0ए0एल0एल0बी0 एम0बी0ए0इकोनामिक, एम0बी0ए0 ई-कामर्स, मास्टर आफ साइंस इनवायरमेन्टल, के साथ अनेकों पी0जी0 स्तर के पाठ्यक्रमों आदि का संचालन विश्वविद्यालय अपने आर्थिक श्रोतों से कर रहा था। जनपद जौनपुर, वाराणसी, मिरर्जापुर, गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, संतरविदास नगर, एवं चन्दौली आदि नौ जनपदों में संचालित महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के मात्र शुल्क से विश्वविद्यालय आज अपने परिसर में उक्त शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को चलाकर न केवल देश बल्कि विदेशों में अपनी पहचान बनाने में सफल है। गौरतलब है कि आज यह विश्वविद्यालय मात्र जौनपुर एवं गाजीपुर जनपद के सम्बद्ध महाविद्यालयों से प्राप्त होने वाली शुल्काय ही निर्भर रह गया है। विश्वविद्यालय अपने व्ययों को समेटता ही जा रहा है, लेकिन इसकी भी एक सीमा है, यदि यही हाल रहा तो विश्वविद्यालय बन्द होने के कगार पर भी पहुँच सकता है।
विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, शैक्षणिक स्टाॅफ और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों, आउट सोर्सिंग पर रखे गए सुरक्षा कार्मिकों एवं सफाई कर्मचारियों के वेतन, सेवानिवृत्ति हो रहे प्रोफेसर, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों के पेंशन पर प्रतिमाह कई करोडों रूपए व्यय होते जा रहे हैं, और आमद के सब रास्ते लगभग बन्द हो चुके हैं। ऐसे स्थिति में यदि विश्वविद्यालय को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की गई तो यहाँ पर शिक्षकों एवं कार्मिकों के वेतन के लाले पड़ जाएंगे।
अतः जनप्रतिनिधिगण से अनुरोध है कि अपने विश्वविद्यालय की आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु कम से कम पाँच अरब वार्षिक अनुदान स्वीकृत करवाने तथा जनपद अम्बेडकर नगर एवं प्रतापगढ़ जनपद के सम्बद्ध महाविद्यालयों को वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध करवाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी से अपने स्तर से अनुरोध करने की कृपा करें, जिससे यह विश्वविद्यालय देश के ग्रामीणांचलों में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा एवं रोजगारपरक शिक्षा प्रदान कर क्षेत्र के विकास में सहयोग प्रदान करता रहे। विचार गोष्ठी में डाॅ0रवीन्द्र नारायण मिश्र, डाॅ0 अंसार खांन, डाॅ0 पिन्टू गुप्ता, रघुवीर सिंह, कुमार विक्रम श्रीवास्तव, डाॅ0राजबली मौर्य ने भी जनप्रतिनिधियों से विश्वविद्यालय को आर्थिक क्षति से उबारने में सरकार से सहयोग प्रदान करने का निवेदन किया। विचार गोष्ठी का संचालन आमिर हसन ने किया।
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