गो सेवा के बिना भारतीय संस्कृति की पूर्णता नहीं : महंत सुरेशदास
युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत
अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि पर साप्ताहिक समारोह
'भारतीय संस्कृति एवं गो सेवा' विषयक संगोष्ठी में बोले दिगम्बर अखाड़ा
अयोध्या के महंत
गोरक्षा व गो सेवा के क्षेत्र में गोरक्षपीठ का योगदान अनिर्वचनीय
गोरखपुर, 12 सितंबर।
दिगम्बर अखाड़ा (अयोध्या) के महंत सुरेश दास ने कहा कि संस्कृति की
विशिष्टता एवं महानता के कारण ही भारत को जगतगुरु कहा जाता है और सृष्टि
के आरंभ से ही गो सेवा इस विशिष्ट भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
गोमाता की महिमा से परिपूर्ण इस भारत भूमि पर जन्म लेने को देवता भी
लालायित रहते हैं। गो सेवा के बिना भारतीय संस्कृति की पूर्णता नहीं हो
सकती।
महंत सुरेशदास युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की
53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 8वीं पुण्यतिथि के
उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धाजंलि समारोह के अंतर्गत सोमवार को
'भारतीय संस्कृति एवं गो सेवा' विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने
कहा कि भारत गंगा, जमुना, सरस्वती जैसी पुण्य सलिला नदियों का देश है।
अयोध्या, वृंदावन, मथुरा, काशी जैसी मोक्षपुरियों का देश है। इससे भी बढ़कर
यह प्रभु पूज्य, देवपूज्य और सर्वपूज्य गोमाता का देश है। इसलिए भगवान के भी
सभी अवतार भारत में ही होते हैं।
उन्होंने कहा कि अनादिकाल से ही गोमाता भारतीय संस्कृति का मूल
आधार हैं। सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं अपितु गाय की महत्ता
आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गाय से प्राप्त हर उत्पाद हमारे लिए
संजीवनी समान है। आज पूरी दुनिया प्राकृतिक खेती की तरफ उन्मुख हो रही है
और गोमाता से प्राप्त गोबर व गोमूत्र के उपयोग के बगैर प्राकृतिक खेती नहीं हो
सकती। महंत सुरेशदास ने कहा कि गोरक्षा और गो सेवा के माध्यम से भारतीय
संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में गोरक्षपीठ का अतुलनीय और अनिर्वचनीय
योगदान है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के आदर्शों
पर चलते हुए वर्तमान पीठाधीश्वर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की
गो सेवा तो जन-जन के लिए अनुकरणीय है।
गोरक्षपीठ से मिली गो सेवा की प्रेरणा : महंत लाल नाथ
संगोष्ठी में नीमच, मध्य प्रदेश के महंत लाल नाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ से
मिली गो सेवा की प्रेरणा से वह भी नीमच के मंदिर में गोशाला संचालित करते
हैं। उन्होंने कहा कि गोसेवा को अहर्निश महत्व देने वाले गोरक्षपीठाधीश्वर योगी
आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में गो सेवा और गोरक्षा के
क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है। एक बार फिर गोमाता को आर्थिक समृद्धि के
आधार रूप में माना जा रहा है। कालिका मंदिर (नई दिल्ली) के महंत सुरेन्द्रनाथ
ने कहा कि गाय को माता इसीलिए कहा जाता है कि हम जीवन पर्यंत इनके दूध
का सेवन करते हैं। उन्होंने कहा कि गाय से प्राप्त हर उत्पाद अमूल्य है। मसलन,
गोमूत्र से अनेक औषधियों का निर्माण होता है और यह सबसे सटीक और
सुरक्षित कीटनाशक भी है। दूधेश्वरनाथ मंदिर गाजियाबाद के महंत नारायण
गिरी ने कहा कि गाय से प्राप्त पंचगव्य से कई रोगों का इलाज संभव है। बड़ौदा,
गुजरात के महंत गंगादास ने कहा कि हम यह तो कहते हैं कि गाय में 33 करोड़ों
का निवास करते हैं लेकिन कई बार गाय को मारने के लिए दौड़ा लेते हैं। हमें
अपनी मान्यता के अनुसार श्रद्धा भी रखनी होगी। कटक, ओडिसा से आए महंत
शिवनाथ ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति के 16 प्रमुख स्तंभों में से एक है।
भगवान श्रीकृष्ण सस्वयं गो सेवा करते थे इसलिए उनका एक नाम गोपाल पड़ा।
श्रृंगेरी मठ, कर्नाटक से पधारे योगी कमलचंद्र नाथ ने भारतीय संस्कृति एवं गो
सेवा के संदर्भ में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों
की मुक्तकंठ से सराहना की। इस अवसर पर पूर्व पशुधन विकास अधिकारी एवं
गोसेवक वरुण कुमार वर्मा 'वैरागी' ने गो महिमा पर काव्य प्रस्तुति की।
संजोकर रखना होगा गो सेवा की संस्कृति को: सांसद
संगोष्ठी में पहुंचे सांसद रवि किशन शुक्ल ने कहा कि आज पूरे विश्व में
सनातन संस्कृति को सम्मान मिल रहा है और गोमाता हमारी संस्कृति की एक
शक्ति हैं। उन्होंने अपने बाल्यकाल में पिता से मिले गो सेवा के संस्कारों का
स्मरण सुनाते हुए कहा कि गो सेवा की संस्कृति को हम सभी को संजोकर रखना
होगा।
आध्यात्मिक, सामाजिक व आर्थिक शक्ति की प्रेरणा है गाय : प्रो यूपी सिंह
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष
प्रो उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृत की पहचान ही गो सेवा से है।
गाय आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक शक्ति की प्रेरणा है। जब तक गोरक्षा
होती रहेगी तब तक हिंदुत्व पर कोई खतरा नहीं रहेगा। उन्होंने
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के गो प्रेम का उल्लेख करते हुए कहा कि
गोरक्षपीठ की गोशाला में गोरक्षा, गो सेवा, गोपालन और गोपूजा के साक्षात
दर्शन किए जा सकते हैं। संचालन डॉ श्रीभगवान सिंह ने किया। संगोष्ठी का
शुभारंभ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के चित्रों
पर पुष्पांजलि से हुआ। वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी व गोरक्ष अष्टक
का पाठ गौरव तिवारी और आदित्य पांडेय ने किया। इस अवसर पर महंत
नरहरिनाथ, महंत देवनाथ, महंत राममिलन दास, महंत मिथलेश नाथ, महंत
रविंद्रदास, योगी रामनाथ, महंत पंचाननपुरी, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान
पुजारी योगी कमलनाथ समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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