" आह्वान बेटियां "
(भारत की भाग्य रेखा)
घर - समाज - राष्ट्र की , पहचान बेटियां।
हाँ ! अपने मां - पिता की हैं, जान बेटियां।।
आंगन की वही रौनक,पुतली हैं आंख की वो।
अपने पिता के घर की , मेहमान बेटियां।।
परिवार तभी पूरा , बेटी हो यदि घर में।
करती रहेगी रोशन , अभिमान बेटियां ।।
सदियों से सर्जना की , कारण वही रही हैं।
धरती पर उतर आईं , वरदान बेटियां।।
सत -पथ पे चल रही हैं, सोपान चढ़ रही हैं।
बनकर चिराग दिखतीं , विद्वान बेटियां।।
वेदों की लालिमा थीं,शास्त्रों पुराण की भी।
गौरव कुटुंब की हैं , गुणवान बेटियां।।
चारों तरफ उजाला , उनसे ही हो रहा है।
दुश्मन के सामने हैं , तूफान बेटियां।।
सेवा सहायता से,भारत की भाग्य रेखा।
रक्षार्थ स्वाभिमानी , सम्मान बेटियां।।
उपहार हो धरा की ,उत्तम समाज गढ़ना।
सूत्रपात तुम करोगी , आह्वान बेटियां।।..."अनंग "
बहुत ही अच्छे तरीके से वर्णन किया गया है. बहुत शुभकामनाएं.
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