वर्षों से बन्द कैदगृहों के ताले,स्वतः टूट भी गये।
नींद आयी रक्षकों को,और वासुदेव छूट भी गये।१।
हुआ था जन्म जब उनका,तो चमत्कार भी हुये।
बजी मुरली की मधुर धुन,तो महासंघार भी हुये।२।
करते हैं संघार कंस का,तो कभी रण छोड़ देते हैं।
कुछ इस तरह से भी वो,काल का रुख़ मोड़ देते हैं।३।
उन सा उस समय दूजा कोई बली ज्ञानी नहीं था।
जरासंध और दुर्योधन सा कोई अभिमानी नहीं था।४।
होते हुए बलवान भी ख़ुद पर जग को हँसाते हैं।
मथुरा छोड़ कर नटवर, दूर द्वारिका बसाते हैं।५।
सृष्टि को नचाने वाले,देखो मथुरा में नाचते हैं कैसे?
गीता का ज्ञान गोविंद,गुणी पार्थ को बाँचते हैं कैसे?६?
उन सा दूजा और कोई प्रेम का पुजारी न हुआ।
शरणागत का उनसा और कोई हितकारी न हुआ।७।
उनके जन्म के कारण ही पवित्र मथुरा धाम हुआ।
कभी राधा का , तो कभी मीरा का श्याम हुआ।८।
_निष्काम कर्मयोगी , श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेशक, अखण्ड कोटि ब्रह्माण्ड नायक, विप्र धेनु सुर संत संरक्षक, नन्दनन्दन, योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापर्व की आप व आपके परिजनों को अनंत शुभकामनाएँ_
आशीष उपाध्याय
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