अटल स्मृति दिवस पर विशेष

 दक्षिणा में पूरा परिवार भगवामय किया  !
धर्म प्रकाश वाजपेयी

1957 में देश में दूसरी बार आम चुनाव होने जा रहे थे। 1952 के आम चुनावों में  उत्तर प्रदेश के आज के बलरामपुर जनपद का अधिकांशतः भाग गोंडा उत्तरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था । 
क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में थे , इसलिए कांग्रेस आदि दल सामान्यतः मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारते आ रहे थे ।1952 के चुनावों में कांग्रेस के चौधरी हैदर हुसैन विजयी भी रहे थे। हिंदू मतदाता सुयोग्य प्रत्याशी की तलाश में थे और 1957 के चुनावों में यह क्षेत्र बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र के रूप में पहली बार गठित किया गया था। भारतीय जनसंघ अपनी प्रखर राष्ट्रवादिता के कारण और कश्मीर मुद्दे पर अपने संस्थापक श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के कारण समस्त हिन्दू जन मानस के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लग गया था। 
ऐसे में इसे लोकसभा में भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने हेतु सुयोग्य व्यक्तियों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अटल जी, तब पांचजन्य, स्वदेश के संपादक आदि रहने के साथ कश्मीर आंदोलन में श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के सहयोगी के रूप में प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाने लगे थे। आपको जनसंघ ने 1955 के आम चुनावो में लखनऊ लोकसभा से प्रत्याशी के रूप मे उतारा भी था और आपने अपने ओजस्वी भाषणों से जनमानस का ध्यान भारतीय जनसंघ की ओर आकृष्ट भी किया था।

ऐसे में क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने  नेतृत्व से अटल जी को नवगठित बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से उतारने की स्थिति में विजय श्री की संभावना सबसे ज्यादा रहने का विश्वास दिलाया और इस तरह अटल जी बलरामपुर से प्रत्याशी घोषित हो गए
स्वतंत्रता के बाद का यह दूसरा चुनाव था। पूरा देश गांधीजी और नेहरू जी के आभा मंडल से प्रभावित था। हर गांव में कांग्रेस का संगठन था और कांग्रेसी कार्यकर्ता थे। भारतीय जनसंघ के पास संसाधनों की भी कमी थी। पूरा प्रचार एक दो पुरानी जीपों और साइकिलों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था । नेपाल भारत सीमा पर स्थित क्षेत्र की गैंसडी विधानसभा के पचपेड़वा क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव आता है हर्रैया चंदरसी । 
 अटल जी यहां पर प्रचार के दौरान पहुंचे थे। उनको बताया गया था यह गांव मिश्रित जनसंख्या  का है,  गांव के प्रमुख परिवार कांग्रेसी हैं और गांव के अन्य लोग मुस्लिम युवाओं द्वारा उलटी सीधी टिप्पणियों से त्रस्त हैं, लेकिन कर कुछ नही पा रहें हैं।
गांव के प्रमुख कांग्रेसी थे श्री रामजस पांडेय जी, जिनके घर पर बड़ा कांग्रेसी झंडा लहराया करता था । अटल जी ने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से श्री रामजस पांडेय जी के परिवार को संदेशा भिजवाया कि अटल जी अपने कुछ स्वयंसेवकों के साथ आपके यहां भोजन पर आना चाहते हैं, क्या आप ऐसा करना पसंद करेंगे ? 
जिसे श्री रामजस जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और आदरपूर्वक अटल जी को भोजन पर आमंत्रित कर लिया। अटल जी तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार अपने सहयोगियों के साथ भोजन पर पहुंचे। गर्मी के दिन थे। अटल जी हाथ पैर धोकर अपना कुर्ता आदि उतार कर भूमि पर भोजन करने बैठ गए। सभी ने घर के बने भोजन का आनंद किया। अब आई विदा की बारी । रामजस जी दक्षिणा देने लगे कि जब एक ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है तो दक्षिणा के बिना तो यह अधूरा समझा जाता है । विप्रवर दक्षिणा लेकर मुझे कृतार्थ करें। अटल जी बहुत तीव्र बुद्धि और वाकपटु प्रारंभ से ही रहे हैं। उन्होंने कहा विप्रवर मैं तो स्वयंसेवक हूं। एक झोले में एकदो जोड़ी कपड़े रखता हूं और मेरी कोई विशेष आवश्यकताएं भी नही हैं तो धन आदि तो लूंगा नहीं। आपको धर्मसंकट में भी  नहीं  डालूंगा  और आपका मत भी नही मांगूंगा । रामजस जी असमंजस में पड़ गए कि क्या मांगने वाले हैं? 
अटल जी बोले कि यदि आप वादा करें तो आप से कुछ आग्रह करूंगा। रामजस जी बोले आप बिना किसी संकोच के मांगे। आप जो मांगेगे और मेरी सामर्थ्य में है तो अवश्य दिया जायेगा। अटल जी ने भोजन के दौरान परिवार के सभी सदस्यों के साथ आत्मीयता स्थापित कर ली थी। परिवार में सबसे वरिष्ठ रामजस जी की माता जी थी, जिनकी चरण वंदना कर आशीर्वाद भी पहले ही प्राप्त कर लिया था ।  
रामजस जी के बार बार आग्रह पर अटल की ने हंसते हुए माता जी का आशीर्वाद भारतीय जनसंघ के लिए मांगा। माता जी ने न केवल आशीर्वाद दिया, मत का भी विश्वास दिया और विजय श्री की भी भगवान से प्रार्थना की। 
तब से उनके घर से कांग्रेसी झंडा उत्तर गया और आजतक पूरा परिवार भगवामय है , भाजपाई है । 
आज  जब भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। देश में और विभिन्न राज्यों में सरकारें हैं, लेकिन इसके पीछे  न जाने कितने  स्वयंसेवको के, कार्यकर्ताओं के ऐसे  प्रसंग  छुपे हुए हैं, जो आज भी हमारे लिए प्रेरक हैं।
( 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान श्री पांडेय जी की चौथी पीढ़ी से संपर्क हुआ, जिन्होंने भोजन के दौरान यह प्रसंग सुनाया।)


लेखक युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम देश के सुपरिचित सिविल सेवा गुरु हैं।
आलेख--
डी पी बाजपेयी

द्वारा--

उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
हिन्दीसंवाद न्यूज़ भारत

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