मुंगराबादशाहपुर। ललही छठ पर माताओं ने पुत्रों के दीर्घायु की कामना
जौनपुर,मुंगराबादशाहपुर। क्षेत्र में बुधवार को ललही छठ पर्व पर माताओं ने विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की और पुत्रों के स्वास्थ्य व दीर्घायु होने की कामना की। नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में ललही छठ पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कमालपुर, कोदहूं,इटहरा,सराय रुस्तम, धौरहरा,गौरैयाडीह व नगर के गल्ला मंडी, पुरानी सब्जी मंडी, नईगंज,गुड़ाहाई,स्टेशन रोड, साहबगंज आदि स्थानों पर माताओं ने पूरे विधि विधान से ललही माता की पूजा अर्चना की और पुत्रों के अच्छे स्वास्थ्य लंबी उम्र की कामना की।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का व्रत रखा जाता है। हल षष्ठी को हलछठ या ललही छठ के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, हल षष्ठी का व्रत महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। मान्यता यह भी है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर संतान के जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
हल षष्ठी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। हल षष्ठी के दिन महिलाएं पवित्र मिट्टी की बेदी बनाकर उसमें गूलर, पलाश और कुश को रखती हैं। इसके बाद विधि-विधान के पूजा की जाती है। इस क्रम में बिन जुते हुए अनाज या खाद्य पदार्थ अर्पित करती हैं। इस व्रत में विशेष रूप से महुआ, भैंस का दूध, फंसही का चावल और उनसे बनी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही महिलाएं इन्हीं चीजों के माध्यम से व्रत पारण करती हैं।
षष्ठी व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इसके साथ ही इस व्रत की पूजा के दौरान जुते हुए अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसे में इस पावन व्रत में तलाब में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ यै बिना जोते गए पैदा होने वाली चीजों का प्रयोग किया जाता है। हल षष्ठी व्रत में विशेष रूप से भैंस के दूध और उससे बनी चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
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