पांच घरों के बुझ गए चिराग, नदी में डूबने से पांच दोस्तों की हुई मौत


बच्चों को यदि रविवार दोपहर बाद बाहर जाने से रोक लेते, तो घर के चिराग नहीं बुझते 

पांचों नोएडा के सलारपुर गांव की एक बिल्डिंग में रहते थे। आपस में सबकी दोस्ती थी और एक साथ ही दुनिया को अलविदा कर दिया। यह दर्द हैं उन पांच परिवारों का, जो अपने बच्चों के शव का पोस्टमार्टम करवाने सोमवार दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचे थे। सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनके बच्चे उन्हें छोड़कर चले गए हैं। मुर्दाघर के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सबसे दर्दनाक स्थिति जौनपुर के राजेंद्र सिंह की दिखी, जिनके दोनों बच्चों की मौत हो गई थी। सफदरजंग अस्पताल में उनकी आंखे सूख गई थी। उनके घर का चिराग ही बुझ गया।

इससे एक दिन पहले रविवार दोपहर पांचों प्रतिमा का विसर्जन करने डीएनडी के पास यमुना नदी में उतरे थे और पांचों की डूबने से मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने प्रशासन के साथ मिलकर पांचों के शवों को तलाशा और पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल में रखवा दिया। सोमवार सुबह होते ही पांचों के परिजन अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर जुटने लगे। दोपहर एक बजे के बाद एक-एक करके सभी परिजनों को शव सौंपना शुरू हुआ। शव को देखकर बच्चों के पिता और उसके साथ आए परिजन पूरी तरह से टूट गए। एक-एक करके परिजन अपने बच्चों को देखते हुए और देर शाम तक उनके शवों को लेकर अपने मूल स्थान को रवाना हो गए।
खत्म हो गया पूरा परिवार : राजेंद्र सिंह
रविवार को हुई दुखद घटना में जौनपुर के राजेगांव निवासी राजेंद्र सिंह का पूरा परिवार ही खत्म हो गया। उनके दो बेटे थे, जिन्हें पढ़ने के लिए भेजा था। रविवार को मूर्ति विसर्जन के दौरान दोनों ही यमुना में डूब गए। रोते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि अब हमारे पर कुछ नहीं बचा, जीने को कोई सहारा नहीं है। अब क्या करेंगे। 21 साल का बड़ा बेटा अंकित बीकॉम अंतिम वर्ष का छात्र था और 15 साल का छोटा बेटा अर्पित 9वीं कक्षा में पढ़ रहा था। रविवार को अपने दोस्तों के साथ मूर्ति विसर्जन के लिए गए और जिंदा नहीं लौटे। उन्होंने कहा कि यह दोनों ही हमारा सहारा थे और दोनों ही हाथ छुड़ाकर हमेशा के लिए चले गए।

हाथ छुड़ाकर चला गया : हरकिशोर
पढ़ने के लिए घर से नोएडा आया था, लेकिन जिंदगी भर के लिए छोड़कर चला गया, घर में सब इंतजार कर रहे थे कि त्यौहार में घर आएगा लेकिन दुख दे गया। यह दर्द हैं बदायूं के इस्लामनगर, मोहल्ला बामनपुरी निवासी हरकिशोर का। सफदरजंग अस्पताल में यमुना में डूबे ललित का शव लेने पहुंचे पिता हरकिशोर ने कहा कि सोचा नहीं था कि बेटे को ऐसे घर लेकर जाना पड़ेगा। चार भाईयों में मंझला था ललित। नौंवी कक्षा में पढ़ रहा था, पढ़ने में तेज था, सोचा था पढ़कर-लिखकर कुछ बन जाएगा। घर से दूर नोएडा में पढ़ाई कर रहा था। समझदार था, फिर पता नहीं कैसे इतनी बड़ी गलती कर गया।

दोपहर तक साथ में ही तो था : मुन्ना
दोपहर तक साथ में सो रहा था, अचानक उठा और कहा कि मूर्ति विसर्जन कर के जल्द लौटता हूं। वह तो नहीं आया, उसकी सूचना ही आई। सोचा नहीं था कि ऐसा होगा। यह कहना है यमुना में डूबे ऋतुराज श्रीवास्तव के पिता मुन्ना श्रीवास्तव का। बेटे का शव लेने पहुंचे गोरखपुर के सिध्वां स्थान निवासी मुन्ना ने रुंधे हुए स्वर में कहा कि 12 बजे तक तो बेटा मेरे साथ ही था, यदि उस समय उसे बाहर जाने से रोक लिया होता तो ऐसा नहीं होता। गांव से उसे पढ़ने के लिए लाया था। यहां बीएससी की पढ़ाई कर रहा था। साथ ही निजी कंपनी में काम भी करता था। पांच बच्चों में मंझला था, परिवार का हाथ बटा रहा था, सोचा था पढ़ाई पूरी होने के बाद घर लौट जाएगा। त्यौहार में साथ जाने की बात भी हुई थी, लेकिन वो हमेशा के लिए हम सभी को छोड़कर चला गया।

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