*एकमात्र सहारा था शारदा सहायक नहर का पानी ।* 
 
*अब उसमें भी जल बहाव हुआ कम किसान दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर ।* 

*अमरगंज/ अयोध्या।*

 किसानों को जहां धान की नर्सरी डाले हुए 40 से 45 दिन पूरे हो रहे हैं, वही अब किसानों के मंसूबे पर पानी फेर रहा है किसान निराश है, किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है जैसे मानो कि उसका सब कुछ लुट गया हो बरसात की मार किसानों के ऊपर ऐसी पड़ी है कि वह बिल्कुल से टूट गया है सरकार के द्वारा चलाए गए सिंचाई की संसाधन ही किसानों का एकमात्र धान की रोपाई का अब सहारा रह गया है वही शारदा सहायक नहर में पानी का जल स्तर इतना कम हो गया है कि किसानो को नहर से लगे नालियों से सिंचाई कर पाना बड़ा मुश्किल है चाहे यह कहे कि दैवीय आपदा के साथ-साथ सरकारी संसाधन भी किसानों को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं। इस संबंध में किसानों से जब बात की गई तो किसानों ने बताया कि हमारी धान की नर्सरी अब बर्बाद होने के करीब है एकमात्र सहारा नहर का पानी था अब उसमें भी पानी घट गया है हम लोगों की धान की रोपाई नहीं हो पाएगी हम लोग बर्बाद हो जाएंगे नहर से संबंधित अधिकारी कर्मचारी हम किसानों की पीड़ा को ध्यान नहीं दे रहे हैं अगर हम किसानों की तरफ ध्यान न दिया गया तो हमारा समूह धरने पर बैठने को मजबूर होगा सोशल मीडिया के माध्यम से हम सभी किसान साथी अधिकारी, कर्मचारियों से अपने हक की मांग कर रहा हूं जहां सरकार के द्वारा किसानों के हित में तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं कुछ हमारे कर्मचारी अधिकारी हम किसानों पर मेहरबान नहीं हो रहे हैं।

जब इस संबंध में नहर के बड़े अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही जल की आपूर्ति कराई जाएगी।

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