*✍️📝 अतिरेक खर्च से बचे.....*
कहावत है कि जितनी चादर है उतने ही पैर पसारिये। परंतु आजकल चादर के बारे में कोई सोचता ही नहीं है। हर कोई अपनी हैसियत से अधिक खर्च करना चाहता है वर्तमान में प्रदर्शन और दिखावे का चलन कुछ अधिक ही हो गया है। कर्ज लेकर घी पीने की आदत हो गई है रही सही कसर फाइनेंस कंपनियों ने पूरी कर दी है गले में हाथ डाल डाल कर लोन दिया जा रहा है।
हम भी खुले हाथ से खर्च करने लगे हैं। आवश्यकता से अधिक खर्च करने लगे हैं एक की जगह दो खर्च करने लगे हैं। आयोजन प्रयोजन उत्सव समारोह आदि में अनावश्यक व्यय किया जाता है।
हो सकता है आपके पास पैसा हो बहुत सारा ऐसा हो परंतु उसे गैरजरूरी कामों के लिए खर्च करना उचित नहीं है।पैसा खर्च कीजिए परंतु संबंधित कार्य की गरिमा एवं उसकी आवश्यकता के अनुसार ही खर्च कीजिए। ऐसा करके हम बहुत सा पैसा बचा सकते हैं जो किसी अन्य परोपकार के कार्य,समाज सेवा आदि में लगाया जा सकता है या हमारे बच्चों के काम में आ सकता है।
*विशेषकर के विवाह समारोह में जो अतिरेक पैसा खर्च किया जाता है उसे रोकना बहुत जरूरी है। यदि हम निम्नलिखित बातें अपनाते हैं तो इस अतिरेक व्यय से बच सकते हैं।*
1, भोजन में मिठाइयां केवल दो बनाएं नमकीन भी दो ही रहे।
2, स्टार्टर के नाम पर 15, 20 तरह की चीज़े न बनाएं केवल सलाद भर रखें।
3, दिन में विवाह समारोह आदि संपादित करें।
4, मेहमानों की संख्या सीमित रखें।
*और भी बहुत से ऐसे कार्य है जहां आप पैसा बचा सकते हैं।*
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