देहात कोतवाली क्षेत्र में बौद्ध परिपथ पर बेलहा डिप के पास नेशनल हाईवे पर बुधवार दोपहर तेज रफ्तार से तुलसीपुर से आ रही एक हुंडई कार बेकाबू होकर गहरे पानी के कुंड में जा गिरी।
पीछे से आरहे यात्रियों ने शोर मचाते हुए लोगो को एकत्र किया जिससे घटना प्रकश में आया और हादसे की खबर फैलते ही वहां भीड़ जुट गई। सूचना पर पहुंची फायर पुलिस की टीम ने पहले तैराकों को उतार कर स्थिति का जायजा लेना चाहा परन्तु बेहद गहरे कुंड में लगभग एक घण्टे की सारी मेहनत बेकार गयीं। राहत टीम ने रस्सी, बाँस व कुछ आवश्यक सामान मंगवाकर काफी मशक्कत की तब कुंड में पड़े वाहन का पता चल सका।
फिर क्रेन से बांधकर कार को कुंड से निकलवाया गया ,परन्तु कार में कोई भी व्यक्ति के न होने से लोग हतप्रभ रहे।
देर शाम तक खोजबीन जारी रहा तब बचावदल को सफलता मिली। एक
कार सवार जिसकी पहचान पवन पाठक के रूप में कई गयी रेलकर्मी का शव भी मिला, मगर इनके अन्य साथी का कोई पता देर शाम तक नही चल सका ।
तेज बारिश के बावजूद देर शाम तक राहत में लगी एसडीआरएफ की टीम पानी में उसे तलाश रही थी। वहीं, हादसे की सूचना पर डीएम व एसपी ने मौके पर पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली और मातहतों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
प्राप्त सूचना के अनुसार मृतक की पहचान कर ली गयी है। नगर के पहलवारा मोहल्ले में यूपीटी होटल के निकट रहने वाली मृतक की बहन मंजू पाठक ने बताया कि उनका भाई पवन कुमार पाठक (26) अपने मित्र राहुल (24) निवासी सेक्टर एच, जानकीपुरम, लखनऊ के साथ किसी काम के सिलसिले में बुधवार को कार से तुलसीपुर गए थे। लौटते समय दोपहर करीब तीन बजे एनएच-730 पर बेलहा डिप के पास पंकज भट्ठा के सामने कार बेकाबू होकर पानी के गहरे कुंड में चली गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची देहात कोतवाली की पुलिस ने पहले स्थानीय गोताखोरों की मदद से कुंड में कार की तलाश कराई। कुछ पता न चलने पर क्रेन मंगाने के साथ ही फायर दल व एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई।
कार का पता चलते ही क्रेन की मदद से कार को कुंड से निकाला गया तो उसके दरवाजे खुले व सभी शीशे टूटे मिले। इससे माना जा रहा है कि कार में पानी में गिरते ही उसमें सवार पवन व राहुल ने तत्काल शीशे तोड़कर किसी तरह बाहर तो निकले मगर गहराई अधिक होने के कारण दोनों डूब गए।
एसडीआरएफ टीम ने देर शाम पवन का शव ढूंढ निकाला मगर राहुल नहीं मिला। रात करीब आठ बजे एसडीआरएफ टीम ने सर्च ऑपरेशन रोक दिया। गुरुवार को सुबह कुंड में राहुल की तलाश शुरू कर दी गयी है।
घटना के तत्काल बाद सूचना मिलते ही डीएम श्रुति व एसपी राजेश कुमार सक्सेना ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों व मातहतों से हादसे की पूरी जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए। एसपी ने बताया कि हादसे की जांच के निर्देश दिए गए हैं। मृतक पवन कुमार पाठक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। जबकि राहुल की तलाश में एसडीआरएफ की टीम लगी है।
हादसे में रेलकर्मी पवन कुमार पाठक की मौत से उसके परिवार में कोहराम मचा है। मूल रूप से महराजगंज तराई थाना क्षेत्र के ग्राम सिसहनिया का रहने वाला पवन पहलवारा मोहल्ले में किराए के मकान में परिवार संग रहता था। वह सात भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर था। उसकी शादी हो चुकी थी। पवन के एक बच्चा भी है। हादसे में पवन की मौत से पत्नी व भाई-बहनों समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मोहल्ले में भी मातमी सन्नाटा पसरा है।
बलरामपुर रेलवे स्टेशन के अधीक्षक पुरुषोत्तम सोमवंशी ने बताया कि पवन बलरामपुर रेलवे स्टेशन पर पंप चालक पद पर तैनात थे। जबकि राहुल रेलवे के गेट संख्या 138-बी विशुनापुर क्रॉसिंग पर गेटमैन पद पर तैनात थे। राहुल की ड्यूटी शाम छह से सुबह छह बजे तक रहती है। राहुल लखनऊ के सेक्टर एच, जानकीपुरम के रहने वाले थे। राहुल के परिजनों को हादसे की सूचना दे दी गई है।
स्टेशन अधीक्षक पुरुषोत्तम सोमवंशी ने बताया कि हादसे की सूचना पर लखनऊ से रेलवे के उच्चाधिकारी भी आ रहे हैं। देर रात रेलवे के उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचेंगे।
बताते चलें बौद्ध परिपथ के इसी नेशनल हाईवे पर स्थित इसी कुंड में वर्ष 2015 में भी एक सवारियों से भरी कार गिर गई थी। जिससे कार में सवार दंपती व दो बच्चों की डूबकर मौत हो गई थी। ये लोग देवीपाटन शक्तिपीठ तुलसीपुर से दर्शन कर लौटते वक्त हादसे का शिकार हुए थे।
नेशनल हाईवे पर स्थित इस कुंड के आसपास के इलाके को बीते वर्षों में पीडब्ल्यूडी व यातायात पुलिस ने ब्लैक स्पॉट तो घोषित कर दिया था मगर यहां बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए। न तो बैरिकेडिंग कराई गई और न ही यहां कोई संकेतक है।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि नेशनल हाईवे के किनारे उगी झाड़ियों के पीछे स्थित ये कुंड बेहद खतरनाक है। स्थानीय लोगों ने शासन-प्रशासन से कुंड के किनारे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कराने की मांग की है।
साथ ही स्थानीय लोगो का कहना है कि ऐसी बड़ी दुर्घटनाओं के लिए जिले में त्वरित राहत सामग्री और तकनीकी कमी देखी गई है।
दुर्घटनाग्रस्त कार के कुंड में गिरने के बाद पंहुची राहत टीम तकनीकी मजबूत न होने से लगभग एक घण्टे तक केवल हाथ पैर मारती देखी गयी।
आधुनिक गोताखोर और अन्य तकनीकी कमी के चलते त्वरित कार्यवाही समय से नही हो सकी। वही राहत बचाव दल के साथ आई त्वरित नौका (ऐर बोट) जो हवा भरने पर तैनात होती है उसके तैयारी में लगभग 45 मिनट लगे।
एयरबोट में हवा भरने में ही तीन कर्मी लगातार हवा डालते देखे गए।
जिले में ऐसी घटनाओं से जन हानि को कम करने के लिए आधुनिक त्वरित राहत बचाव के लिए तकनीकी रूप से मजबूती की जरूरत है।
हिन्दीसंवाद न्यूज़
बलरामपुर
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