जौनपुर। रचना - खुराफ़ाती ख़ानदानी....

रचना/कविता

हर गाँव में होते हैं कुछ खबरी,खुरपेंची और
खुराफ़ाती लोग.....अक्सर खुद को
खानदानी बताने वाले लोग....जो सुबह-शाम....
सड़क के किनारे बैठकर या बरामदे में अपनी चौपाल लगाते है
यहीँ से घर-घर के..अंदरखाने की खबर लेते हैं....
अमूमन गंजेड़ी,भंगेड़ी या शराबी
होते हैं इनके मुखबिर......घरों में मनमुटाव पैदा करना,
अलगाव करवाना.....
इनकी फितरत होती है...लड़के-लड़कियों के
शादी-ब्याह बिगाड़ने में
इनको महारत हासिल होती है अच्छा खासा आनन्द भी आता है
रिश्ते बिगाड़ने के लिए होने वाली रिश्तेदारियों में भी
पहुँच जाते हैं ये लोग.....
खुद का खरच-वरच करके....कभी-कभी बस में
बगल वाली सीट पर ही बैठकर
भरपूर शिकायतों से, अपनी बातें पहुँचा देते हैं
देखुहारों के कानों तक.....
किसी के घर....कार परोजन में खुद ही पहुँचकर.....
मीनू बनाने लगते हैं और
इसी बहाने अपने लिए....चर्चा का मसाला भी ले आते हैं
गाँव की हर सुखद बातें
इनको नहीं सुहाती.....हर अच्छी खबर के
अभ्यस्त निंदक होते हैं......निंदा रस के प्रेमी होते हैं
बात-बात में अनायास ही
उफान भरते हैं...उबाल मारते हैं..चुपके से कान भरकर
अच्छे-अच्छों को बदनाम करते हैं
मित्रों अगर बात....सरकारी नौकरी की ना हो और
पुलिस विभाग से चरित्र सत्यापन
ना माँगा जाए तो.....सकल समाज में
चरित्र सत्यापन का जिम्मा भी
इन्हीं के पास होता है....गाँव समाज के
ऐसे खानदानी लोग....
खाते भी हैं और बरगलाते भी हैं
मित्रों......आज के दौर में भी
यह हमारे लिए चुनौती ही है कि...
इन खुराफ़ाती,खानदानियों पर हम कैसे लगाम लगा सकते हैं...
जो मन में छुरी, मुख में राम रखते हैं......
जो मन में छुरी
मुख में राम रखते हैं......

रचनाकार....
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी नगर,जौनपुर

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