पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट, फैक्ट्री मालिक समेत पांच लोगों की मौत
गिरजा शंकर गुप्ता/ब्यूरों
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur) जिले के सरसावा के बलवंतपुर गांव में स्थित पटाखा फैक्ट्री में शनिवार शाम छह बजे विस्फोट हो गया और विस्फोट में फैक्ट्री मालिक और चार मजदूरों की मौत हो गई थी.
उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) का कहना है कि एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया. आशंका है कि मलबे में कुछ लोग फंसे हो सकते हैं और आधी रात के बाद तक जेसीबी से मलबा साफ कर फंसे लोगों को बचाने की कोशिश जारी थी. हादसे की सूचना पर डीआईजी प्रीतदार सिंह, एसएसपी आकाश तोमर कई थानों की फोर्स के साथ पहुंचे. जबकि फायर ब्रिगेड की आठ गाड़ियों ने आग पर काबू पाया.
जानकारी के मुताबिक सरसावा थाना क्षेत्र के सलेमपुर गांव निवासी किरण के 32 वर्षीय पुत्र राहुल कुमार की बलवंतपुर गांव के जंगल में किरन फायर्स के नाम से पटाखा फैक्ट्री है. शनिवार को फैक्ट्री में मालिक राहुल की मौजूदगी में सात-आठ मजदूर काम कर रहे थे। शाम 6 बजे फैक्ट्री में धमाके के बाद आग लग गई. ग्रामीणों के पहुंचने पर देखा कि आगे ऊंची लपटें उठ रही हैं. बताया जा रहा है कि आग लगने के बाद फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को भागने का मौका भी नहीं मिला. इस विस्फोट के कारण फैक्ट्री की छत उड़ गई, जिसमें कुछ मजदूर मलबे के नीचे दब गए. पुलिस का कहना है कि विस्फोट में कार, बाइक व अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गया.
नहीं चल सका विस्फोट का कारण
स्थानीय लोगों का कहना है कि विस्फोट इतना बड़ा था कि इसमें जिन लोगों की मौत हुई है, उनके अंग के अवशेष दूर-दूर तक फैले हुए थे. इस हादसे में फैक्ट्री मालिक राहुल कुमार, सागर सैनी, कार्तिक सैनी की मौत हो गई, जबकि वंश पुत्र संदीप गंभीर रूप से घायल है. इसके सात ही वर्दन व अमित लापता हैं. विस्फोट के सही कारणों का पता नहीं चल सका है. फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर को आशंका है कि मजदूरों द्वारा बीड़ी का सुलगता हुआ टुकड़ा या शॉर्ट सर्किट छोड़ने के कारण आग लग सकती है. इसके लिए जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है और बम स्क्वॉड, इंटेलिजेंस यूनिट भी जांच में जुटी हुई है.
जूतों से हुई मृतक की पहचान
स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि धमाका इतना जोरदार था कि पटाखा फैक्ट्री परखच्चे उड़ गए और विस्फोट के बाद फैक्ट्री का नजारा देखकर हर कोई कांप रहा था, क्योंकि 200 मीटर दूर मानव चिथड़े बिखरे हुए थे और लोग कपड़ों और जूतों से अपने प्रियजनों की पहचान की.
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