मोहन राय ने जिले में जगाई थी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की अलख
 जौनपुर। जिले में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की नींव रखने वाले  मोहन राय वैद्य का नाम आज किसी से भी अछूता नहीं है। आजादी के लिए संघर्ष करने की बात हो या संघ के प्रचारक के रूप में लोगों को जोड़ने की हर क्षेत्र में इन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा इनके अंदर बचपन से ही था शायद यही वजह थी कि 12 साल की उम्र में ही इन्होंने संघ का दामन थाम लिया और पूरा जीवन संघ के बैनर तले भारत माता की सेवा करने में गुजार दिया।

आज ही के दिन 9 मई को 108 वर्ष की अवस्था में मातृभूमि की सेवा करते हुए उन्होंने अपना प्राण त्यागा था। स्व.मोहन राय वैद्य का जन्म जनपद के धर्मापुर ब्लॉक अंतर्गत सरैया गांव में सन 1913 को हुआ था। 12 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने संघ की शाखा में जाना प्रारंभ किया। 1935 मेें बाला साहब देवरस के साथ काम किया। इसी दौरान इनकी मुलाकात कुशाभाऊ ठाकरे के साथ अन्य सरसंघ चालकों से हुई जिनके सानिध्य में इन्होंने संघ के प्रचार का कार्य आगे बढ़ाया। पूर्वांचल के कई जनपदों वारारणसी, गाजीपुर, गोरखपुर, मऊ, बलिया के अलावा अपने गृह जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में इन्होंने संघ का प्रचार प्रसार किया। मूल रूप से इनका नाम जनार्दन प्रसाद राय था बाला साहब देवरस ने इनके स्वाभाव व व्यवहार को देखते हुए इनका नाम बदलकर मोहन रख दिया और इसी नाम से प्रसिद्धी प्राप्त हुई। हलांकि इन्होंने चिकित्सकी अध्ययन कर बाद में अपने नाम के साथ वैद्य की उपाधि भी जुड़वा ली। बताते हैं कि बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु हो गयी थी और इनकी परवरिश की जिम्मेदारी इनके चाचा जी ने संभाली थी। चाचा जी ने संघ के नियम के विरूद्ध जबरन इनका विवाह भी करवा दिया ताकि ये अपने परिवार के साथ रहकर घर की जिम्मेदारी उठा सकें लेकिन इन्होंने परिवार को अपनाते हुए संघ का कार्य जारी रखा। पत्नी स्व.सरजू देवी से इन्हें तीन पुत्र रत्नों बृजभूषण राय, शशिभूषण राय और दिवाकर राय की प्रााप्ति हुई जिनसे आज छह पौत्र आशुतोष राय, अमित राय, विजय राय, अखिल राय, मनीष राय और विपिन राय हुए। जो आज भी संघ के साथ जुुड़कर मातृभूमि की सेवा में लगे हुए हैं। उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंचते पहुंचते इन्होंने आगरा को अपना केंद्र बनाया और वहीं से अंतिम समय तक संघ के लिए कार्य करते रहे। इतना ही नहीं आगरा से ही कानपुर, सीतापुर, लखनऊ आदि जिलों की भी कमान संभाल रखी थी और इन्हीं दिनों में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, राजनाथ सिंह, ओम प्रकाश सिंह जैसी हस्तियों को भी इन्होंने अपना सानिध्य और मार्गदर्शन दिया। इतना ही नहीं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इन्होंने अपना सानिध्य दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे जीवन बड़े भाई का दर्जा देकर इनका आदर किया।

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