#अवधी
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"दुलहिन तनी धुनकी से ढेबरी उठाय लाओ "
"क्या दादी.."
"हाय राम कम सुनति हौ..हमार तौ करम फूटि गा"..
दादी छोभ भरे गुस्से में बोलीं..यह पहला अवसर था जब दादी के आदेश का तुरंत अनुपालन नही हुआ था..
जमींदार सम्भू चौबे के पूर्वज कभी जमींदार थे पर सम्भू पूरी ठसक आज भी बनाये हुये थे..सैकड़ों बीघा जमीन..दरवाजे पर ट्रैक्टर ट्राली के साथ साथ बैलों की दो जोड़ी भी थी..गाय,भैंस दरवाजे पर बंधे थे..गांव में सम्पन्नता का जो भी मानक होता है, सम्भू चौबे उसे पूरा कर रहे थे..सम्भू का पूरी जवांर में रुतबा था..बिना सम्भू के कोई पंचायत नही निपटती थी..सब कुछ था पर घर का माहौल देहतिहा ही था..सम्भू तो कक्षा आठ तक पढ़े भी थे पर घर की औरतें बिल्कुल अशिक्षित थीं..फिर भी सम्भू की मां का भी खासा रुतबा था..सम्भू के पिता के मरने के बाद घर की बागडोर मां के ही हाथ में थी..वैसे तो सम्भू जवांर की पंचायत निपटाते थे पर घर में बिना मां की अनुमति के पत्ता भी नही हिलता था..
घर के देहतिहा माहौल के बाउजूद सम्भू के दोनों बच्चे पढ़ाई में ठीक निकले..बेटा जहां बी टेक इंजीनियर हो गया था वहीं बिटिया ग्रेजुएशन कर रही थी..सम्भू का रुतबा और बेटे की पढ़ाई को देखकर सम्भू के बचपन के मित्र जो मुम्बई में रहकर व्यवसाय कर रहे थे..गाँव-जवांर से नाता बनाये रखने के लिये पिछले महीने अपनी बेटी रश्मि का विवाह सम्भू के बेटे किशोर से कर दिया था..
दादी नाराज हो रही थीं तभी किशोर अपने कमरे में आया..
"सुनिये..!" रश्मि भागकर कमरे में आयी थी
"क्या है.."
"ये आपके यहाँ धुनकी और ढेबरी क्या होती है..? दादी मांग रही हैं.."
किशोर हंसा था..बहन को बुलाया..
"छुटकी अपनी भाभी को ढेबरी ,ढुनकी दिखाते हुये दादी को दे आ..और हां आज से तू इन्हे अवधी का ट्यूशन देगी"
किशोर ने रश्मि को घर के प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव के विषय में बता दिया था..दादी के हुकूमत के विषय में भी..वहीं दादी से भी कहा था..
"दादी..! रश्मि अभी अपनी भाषा सीख रही है.."
"अपनी बहूरिया की तरफदारी करत हौ लल्ला"
"नाही दादी नाही..पर उसको सीख तो जाने दो"
आज एक महीना पूरा हुआ था..रश्मि दादी के सर में तेल लगा रही थी..दादी ऊंघने लगीं..रश्मि मुस्करायी..उसे ननद के सिखाये शब्द याद आये..अवधी शब्द सम्पदा का एक एक शब्द वह तैयार कर रही थी..बोली..
"दादी आप औंघाति हौ..ओल्लि जाव "
दादी चौंकी थीं.. जोर से किशोर की मां को आवाज दी..
"दुलहिन..तुम्हरी बहूरिया आज आपन भाषा बोलिस है..जा आज खीर-पूड़ी बनवा "
दादी के फरमान पर पूरा घर हंस पड़ा
#राजेश_ओझा मोकलपुर गोण्डा
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