उतरौला(बलरामपुर) क्षेत्र में आसमान छूते भूसे की कीमतों ने पंचायतों के सामने पशु आश्रय केंद्रों में कैद गोवंश का पेट भरने की चुनौती खड़ी कर रहे हैं।
शासन से मिल रही 30रूपये प्रति गोवंश की आर्थिक मदद के सहारे गोवंश के लिए एक वक्त का चारा जुटाना भी बेहद मुश्किल हो गया है।बता दें कि उतरौला नगर व ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को छुट्टा गोवंश की समस्या से निजात दिलाने के लिए गौ आश्रय केंद्रों का संचालन किया जा रहा है अकेले उतरौला ब्लाक में सैकड़ों से अधिक गोवंशों को गौ आश्रय केंद्रों पर कैद करके रखा गया है।जबकि नगर मे छुट्टा जानवरों से मुक्ति के लिए नगर पालिका परिषद द्वारा अलग से तिलखी बढ़या में गौ आश्रय केंद्र का निर्माण कराया गया है जहां 50से अधिक गोवंश आश्रय केंद्रों में रखे गए हैं।शासन की ओर से चारे के लिए प्रति गोवंश 30का अनुदान पंचायतों को दिया जा रहा है।जिम्मेदारों की माने तो बाजार में भूसे की कीमते 12 से 14 रूपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया है ऐसे में प्रति गोवंश चारे का खर्चा 80से 90रूपये प्रतिदिन आ रहा है इसके अलावा हरे चारे और चूनी चोकर का खर्चा अलग बढ़ जाता है।आश्रय केद्रों में कैद छुट्टा गोवंश के लिए सूखा भूसा जुटाने में जिम्मेदारों को पसीना आ रहा है।इसके अतिरिक्त कर्मचारियों का मानदेय देने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है ।जिससे कर्मचारियों को परेशानी हो रही है।
पशु चिकित्साधिकारी उतरौला धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि इस समस्या को पत्र के माध्यम से विधायक राम प्रताप वर्मा को अवगत कराया गया है तथा प्रचार प्रसार के माध्यम से क्षेत्र के संभ्रांत जनों से गौ आश्रय केंद्र में रह रहे गोवंशों के लिए हरा चारा, भूसा,तथा चूनी चोकर दान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
असग़र अली
उतरौला
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