वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान परिसर से निकल कर समाज के वंचित वर्ग तक पहुंचें। बच्चे पीजी तक पहुंचें इसलिए उनका केजी में आना जरूरी है और इनके बीच सेतु बनाने का काम विश्वविद्यालयों को करना होगा। उन्होंने शिक्षकों, छात्रों और शोधकर्ताओं से गांवों और पिछड़े क्षेत्रों में जाने और महिलाओं, बच्चों और गरीबों के साथ बातचीत करने, उनके मुद्दों और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने और उनके समाधान के उपाय सुझाने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी सभागार में शुक्रवार को डॉ. आंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन करने के बाद राज्यपाल ने ये विचार रखे। उन्होंने कहा कि यह कड़वा सच है कि जिनके लिए आरक्षण लागू किया गया था, उन्हें आरक्षण का लाभ अब तक नहीं मिल सका है। इसका कारण है कि विश्वविद्यालयों में खर्च खूब हुए मगर जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हर राज्य विश्वविद्यालय को पांच और कॉलेज को एक गांव गोद लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक बच्चे यहां आएं और फिर उनके विश्वविद्यालय पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो सके।

मुख्य अतिथि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री और डॉ. आंबेडकर फाउंडेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने कहा कि उनका मंत्रालय वंचित वर्ग के बच्चों के साथ ही दिव्यांग और ट्रांसजेंडरों के लिए भी कई कार्यक्रम चला रहा है। बीएचयू की तारीफ करते हुए कहा कि इस परिसर में भ्रमण करने पर लगता है कि महामना अब भी हमारे आसपास हैं। समारोह के दौरान मंत्रालय के राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक, ए. नारायणस्वामी और सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने भी योजनाओं पर चर्चा की।

कार्यक्रम में बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. अरुण कुमार सिंह, डॉ. आंबेडकर पीठ के चेयर प्रोफेसर प्रो. मंजीत चतुर्वेदी ने केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल और राज्यमंत्रियों को तुलसी का पौधा देकर स्वागत किया। इस दौरान सभी 31 विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रतिनिधियों ने समझौता पत्र का आदान-प्रदान किया। डॉ. आंबेडकर फाउंडेशन के निदेशक विकास त्रिवेदी ने आभार जताया।

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