कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच राज्यों के चुनाव की हार के बाद कांग्रेस कार्य समिति की रविवार को हुई बैठक में गांधी परिवार का नेतृत्व छोड़ने की पेशकश कर दी। पराजय को लेकर नेतृत्व पर हो रहे चौतरफा हमलों की बात उठाते हुए सोनिया ने कहा कि पार्टी को लगता है कि गांधी परिवार का हट जाना कांग्रेस के हित में है तो वे तीनों (सोनिया, राहुल और प्रियंका) हटने के लिए ही नहीं कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं।
सीडब्ल्यूसी ने ठुकराई पेशकश
हालांकि कार्य समिति ने सर्वसम्मति से इस पेशकश को ठुकराते हुए सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया और पार्टी की मौजूदा हार से गहराए संकट को देखते हुए व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने और खामियों को दूर करने के लिए अधिकार भी दे दिया। साथ ही कार्यसमिति में यह भी तय हुआ कि कांग्रेस को मौजूदा संकट से उबारने के लिए पार्टी तमाम वरिष्ठ नेताओं का संसद सत्र के तत्काल बाद एक चिंतन शिविर करेगी।
पद छोड़ने की पेशकश
सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने बैठक के अपने शुरुआती संबोधन में ही पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की हुई करारी शिकस्त पर पार्टी में उठ रहे असंतोष के मुखर स्वर के साथ ही राजनीतिक विमर्श में गांधी परिवार पर किए जा रहे हमलों की चर्चा करते हुए पद छोड़ने की पेशकश की। करीब पांच घंटे चली बैठक में उन्होंने कहा कि कार्यसमिति को ऐसा ही लगता है तो वे तीनों पार्टी में अपनी भूमिका से पूरी तरह हट जाने के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस को लेकर जताई चिंता
कार्यसमिति ने सोनिया की इस पेशकश को तत्काल एक सुर में खारिज कर दिया। असंतुष्ट समूह के नेताओं की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने सबसे पहले इसे ठुकराते हुए कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर उन लोगों ने कभी सवाल नहीं उठाए बल्कि कांग्रेस की लगातार खराब होती हालत को दुरूस्त नहीं किए जाने को लेकर सबकी चिंता है।
गुलाम नबी आजाद बोले- हम पार्टी के साथ
गुलाम नबी आजाद के इस रुख के बाद सोनिया गांधी ने कार्यसमिति में बेबाक और खुली रूप में पार्टी के हालात पर अपनी बात रखने के लिए कहा। इस पर आजाद ने कहा कि कांग्रेस की गंभीर हुई राजनीतिक चुनौती को देखते हुए खामियों को दूर करने और बदलाव की बात उठाने पर विद्रोही और भाजपा का एजेंट करार दिया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि जिन लोगों ने हमें भाजपा का एजेंट बताया वे खुद भाजपा में चले गए और हम तो पार्टी के साथ ही हैं।
बाकी दलों को लाना होगा साथ
सूत्रों के अनुसार इसी दौरान राहुल गांधी की इस बात से आजाद ने सहमति जताई कि कांग्रेस ही भाजपा के खिलाफ विचाराधारा के आधार पर मजबूती से लड़ाई लड़ने वाली एकलौती पार्टी है। मगर आजाद ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में कांग्रेस अकेले भाजपा को नहीं हरा सकती ओर इसके लिए बाकी दलों को साथ लाना ही होगा।
कोशिश करने में हर्ज नहीं
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी खेमे के कई दल फिलहाल पार्टी के साथ नहीं आ रहे हैं। इस पर आजाद ने कहा कि कांग्रेस का प्रयास जारी रहना चाहिए और यदि हम दस पार्टियों से बात करेंगे तो छह सात आएंगे ही। सूत्रों के अनुसार असंतुष्ट खेमे के दूसरे वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक ने 2014 के बाद अब तक हुए 49 चुनावों में कांग्रेस के 39 चुनाव हारने का आंकड़ा रखा।
असंतुष्ट खेमे ने जताई चिंता
साथ ही कहा कि पार्टी केवल हार ही नहीं रही बल्कि उसका वोट प्रतिशत भी एक दो फीसद तक आ रहा है ओर यह गंभीर चिंता की बात है। आनंद शर्मा ने कांग्रेस को अपनी विचारधारा की राह पर मजबूती से बने रहने की बात भी कही। साथ ही यह भी कहा कि चाहे इस्लामी कटृटरपंथ हो या हिंदू कटटरपंथ हमें दोनों के खिलाफ अपने दृढ रुख को जारी रखना होगा।
नेतृत्व को सतर्क रहने की जरूरत
आनंद शर्मा ने भी कांग्रेस में बेबाक बातचीत की परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि आत्मचिंतन और खामियों को दूर करने की बात को विद्रोह बताने वाले पार्टी के नारद मुनियों और चुगलखोरों से नेतृत्व को सतर्क रहने की जरूरत है।
सिद्धू को कमान सौंपे जाने पर सवाल
सूत्रों के अनुसार इसी दौरान पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से हुए नुकसान की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा गया कि दूसरे दलों से आने वाले लोगों को प्रदेशों की कमान सौंप दी जाती है जिनकी कांग्रेस के प्रति प्रतिबद्धता वैसी नहीं होती।
प्रियंका ने कार्यसमिति के सामने रखी रिपोर्ट
इस दौरान उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत सभी राज्यों के प्रभारियों ने हार को लेकर अपनी विस्तृत रिपोर्ट कार्यसमिति के सामने रखी। गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर हार के संदर्भ में अपनी टिप्पणियां करते हुए सुझाव भी रखे।
गहलोत ने की राहुल की तारीफ
बैठक से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा कि आज के समय में राहुल गांधी देश के इकलौते नेता हैं जो पूरे दमखम के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की भी सराहना की।
पार्टी को ले डूबी अंदरूनी कलह
गहलोत ने कहा कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने हालिया चुनाव ध्रुवीकरण करके जीते हैं, साथ ही उन्होंने माना कि पंजाब में कांग्रेस अंदरूनी कलह की वजह से पराजित हुई। गहलोत ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप भी लगाया।
डीके शिवकुमार ने भी राहुल के पक्ष में उठाई आवाज
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी ट्वीट कर कहा, 'जैसा मैंने पहले कहा है कि राहुल गांधी को तत्काल पूर्णकालिक अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह मेरे जैसे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं की इच्छा है।' बैठक के दौरान पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता पार्टी मुख्यालय के निकट एकत्र हुए। उन्होंने राहुल गांधी के समर्थन में नारेबाजी की और उन्हें पार्टी की कमान एक बार फिर से सौंपने की मांग की।
गांधी परिवार पर जताया भरोसा
युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कहा कि गांधी परिवार वह धागा है जो न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि देश के सभी वर्गों को बांधकर रखता है। यह किसी चुनावी जीत या हार पर निर्भर नहीं है।
ये दिग्गज हुए शामिल
सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और कई अन्य नेता शामिल हुए। हालांकि बीमार होने की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कोविड संक्रमित होने की वजह से वरिष्ठ नेता एके एंटनी और कुछ अन्य नेता बैठक में सम्मिलित नहीं हुए।
गांधी परिवार के इस्तीफे की थीं अटकलें
बैठक से एक दिन पहले मीडिया के एक हिस्से में खबर आई थी कि गांधी परिवार पार्टी के पदों से इस्तीफे की पेशकश कर सकता है। हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से इस खबर का खंडन करते हुए इसे 'गलत एवं शरारतपूर्ण' करार दिया था।
जी-23 ने सुझाया था वासनिक का नाम
सूत्रों ने बताया कि पार्टी के असंतुष्ट जी-23 समूह के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मुकुल वासनिक का नाम सुझाया था लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। जी-23 के एक नेता ने बताया कि भले ही सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष (अंतरिम) है, लेकिन वर्चुअली इसे केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला चलाते हैं और उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है। राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं हैं, फिर भी वह पर्दे के पीछे से काम करते हैं और फैसले लेते हैं।
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