काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर भदोही की राष्ट्रीय सेवा योजना की चारों इकाई के विशेष शिविर के चौथे दिन आज 13 मार्च को प्रातः  के पश्चात स्नान व्यायाम एवं नाश्ते के पश्चात जोरई ग्राम में स्वच्छता अभियान चलाया। स्वच्छता अभियान में फावड़े की सहायता से झाड़ी को काटकर मार्ग को समतल किया। तत्पश्चात वापस शिविर स्थल पर आकर भोजन के उपरांत हुई बौद्धिक संगोष्ठी में शामिल हुए । आज की बौद्धिक संगोष्ठी मानसिक स्वास्थ्य एवं प्रबंधन के मुख्य वक्ता डॉक्टर मनोज तिवारी मनोचिकित्सक ए आर टी सेंटर एस एस हॉस्पिटल आई एम एस बी एच यू वाराणसी से रहे । उन्होंने बताया कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए तनाव आवश्यक है। लेकिन जब तनाव का स्तर बढ़ जाता है  तब वह हानिकारक होता है। विद्यार्थियों में अक्सर परीक्षा का डर रहता है और कभी-कभी कुछ छात्र-छात्राएं परीक्षा परिणाम में असफल होने पर मानसिक अवसाद से भी ग्रस्त हो जाते हैं। इसके अलावा वर्तमान में मोबाइल  फोन से फैलने वाले भ्रामक समाचार भी तनाव बढ़ाने का एक कारण हो रहे हैं। कार्यक्रम की दूसरी वक्ता राजकीय महाविद्यालय सहजनवा गोरखपुर से आई डॉ मनीषा रही। उन्होंने युवाशक्ति एवं पोषण पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि उचित पोषण के अभाव में लोग कुपोषित हो रहे हैं। छात्रों में एनीमिया की समस्या हो रही है । इसको दूर करने के लिए अपने आसपास आराम से मिलने वाले अनाज, फल एवं सब्जी का उपयोग करके इस समस्या से बच सकते हैं। तीसरे वक्ता डॉ रतनेस सोनी ने बताया कैसे रेडिमेड भोजन में कैमिकल की अधिकता होती है। उसमे मौजूद कैमिकल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं । अतः इनका  कम से कम सेवन करना चाहिए। कार्यक्रम में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ कामिनी वर्मा ने कहा कि हमारी प्राचीन जीवन शैली में घर में बने खाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था । जो शुद्ध एवं पौष्टिक होता था।  लोहे , तांबे पीतल के बर्तन का प्रयोग करने से इन तत्वों की पूर्ति अपने आप ही हो जाती थी। गुजरी में अपने आप चले आते थे और लोहे के बर्तन में सब्जी बनाने से आयरन की पूर्ति सोता हो जाया करती थी। कार्यक्रम में डॉ संतोष आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा डॉक्टर विनय मिश्र ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर डॉक्टर जय सिंह यादव, श्री कृष्ण मिश्रा, श्री आसिफ़ उपस्थित रहे । साथ ही छात्र-छात्राओं ने भी सरस्वती बंदना स्वागत गीत सहित नारी सशक्तिकरण पर महिमा मौर्य ने एक कविता प्रस्तुत की।


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