असगर अली की रिपोर्ट
उतरौला(बलरामपुर) सरकार द्वारा
 ग्रामीणों को गांव में ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने को लेकर  क्षेत्र  में लाखों रुपये खर्च कर उप स्वास्थ्य केंद्र बनवाया गया था। जिम्मेदारों की अनदेखी व देखरेख के अभाव के चलते उप स्वास्थ्य केंद्र बदहाल पड़ा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि मरम्मत कार्य न होने से भवन बदहाल है लाखों रुपए कागजों में मरम्मत कार्य दिखाकर खर्च कर दिए जा रहे हैं जिम्मेदार अफसर धरातल पर उतरना मुनासिब नहीं समझते जिससे ग्रामीणों को टीकाकरण व प्रसव के लिए दौड़ भाग करनी पड़ती है ।

क्षेत्र के एन एम सेंटर बक्सरिया इमलिया में गंदगी का भरमार है। केंद्र छुट्टा जानवरों का बसेरा बना हुआ है। परिसर में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है। केंद्र में लगे खिड़की दरवाजे भी टूट चुके हैं। जिससे कमरों की सुरक्षा नहीं हो सकती है। परिसर में गंदगी के चलते कोई भी स्वास्थ कर्मी के बैठने लायक नहीं रहा। इरफान , जव्वाद अली, अरविंद यादव आदि  ने बताया कि करीब सात  वर्ष पूर्व गांव में एएनएम सेंटर महिलाओं को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया था लेकिन कोई भी स्वास्थ्यकर्मी यहां नहीं बैठता है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं नजर आ रहा है। केंद्र में टीकाकरण सहित अन्य जरूरी सुविधाएं ग्रामीणों के घर पर बैठ कर किया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों को सीएचसी उतरौला तक आवागमन करना पड़ रहा है।
इसी तरह  क्षेत्र के बासूपुर  गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। केंद्र का भवन जर्जर है। दरवाजा, खिड़की व  फर्श टूट चुकी है। परिसर में बड़े बड़े घास फूस उगे हुए हैं। ग्रामीण रामकुमार ,पवन , फते मोहम्मद ,सलीम ने बताया कि क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो सकी। गर्भवती व बच्चों को टीका लगवाने व प्रसव के लिए सीएचसी उतरौला अथवा गैड़ास बुजुर्ग तक की  दूरी तय करनी पड़ रही है।
  विकास खंड उतरौला क्षेत्र के भैरमपुर समेत अन्य  गांव में बना एएनएम सेंटर निष्प्रयोज्य साबित हो रहा है। देखरेख के अभाव में भवन जर्जर हो गये है । दरवाजे व खिड़कियां टूटी हुई हैं । केंद्र जानवरों व आवारा कुत्तों का आरामगाह बना हुआ है। करीब छह  वर्ष पूर्व बनाया गया सेंटर अधिकारियों की उदासीनता के चलते अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। ग्रामीण लालजी,राम गोपाल ने बताया कि कई शिकायतें की गई बावजूद इसके अफसरों पर कोई असर नहीं हुआ। 
ये चंद मामले बानगीभर है। क्षेत्र में अधिकांश एएनएम उपकेंद्र बदहाल हैं। किसी के भवन जर्जर हो चुके हैं तो कहीं समुचित सुविधाएं नहीं है  प्रतिवर्ष एएनएम उपकेंद्रों के मरम्मत व निर्माण पर लाखों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे लेकिन इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। अफसरों ने धरातल पर उतरना भी मुनासिब नहीं समझा जिससे सरकार की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है।

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