कड़ी मशक्कत के बाद छठी बार विधायक बने रामअचल
भाजपा के पूर्व कैविनेट मंत्री धर्मराज निषाद ने दी कड़ी टक्कर
गिरजा शंकर विद्यार्थी ब्यूरों
अंबेडकरनगर। अकबरपुर विधानसभा सीट पर कड़े मुकाबले के बावजूद बसपा से सपा में आए पूर्व मंत्री रामअचल राजभर को छठी बार विधायक बनने का मौका मिल गया। इस सीट पर भाजपा से 2017 में चुनाव लड़ चुके चंद्रप्रकाश वर्मा ने विधायक बनने के लिए बसपा का दामन थामा, लेकिन उसके बेस मतों के सहारे यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। भाजपा ने अंत समय में कटेहरी से चुनाव लड़ने वाले पूर्व मंत्री धर्मराज को इस बार अकबरपुर से प्रत्याशी बनाया, लेकिन कड़े संघर्ष के बाद पराजय ही हाथ लगी।अकबरपुर विधानसभा सीट लंबे समय से बसपा का गढ़ मानी जाती रही है। यहां बसपा प्रत्याशी के तौर पर रामअचल राजभर लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। वर्ष 1993 में वे पहली बार बसपा से विधायक बने थे। इसके बाद 1996, 2002 तथा 2007 में भी बसपा से विधायक चुने गए। 2012 के चुनाव में आय से अधिक संपत्ति आदि के विवाद तथा केस दर्ज हो जाने के चलते उन्होंने खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे संजय राजभर को मैदान में उतारा। हालांकि यह निर्णय सही साबित नहीं हुआ। सपा नेता राममूर्ति वर्मा ने 26 हजार से अधिक मतों से हराया। 2017 के चुनाव में रामअचल एक बार फिर बसपा से मैदान में आ डटे। इस बार उन्होंने फिर से जीत दर्ज करते हुए पांचवीं बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। बीते दिनों बसपा से निष्कासित होने के बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था।टिकट को लेकर चले उहापोह के बीच पार्टी सुप्रीमो ने उन्हें टिकट थमाया। इससे पार्टी के भीतर बगावत के आसार नजर आने लगे। तमाम दल अकबरपुर से सपा के दावेदार राममूर्ति व उनके समर्थकों पर डोरे डालने लगे। हालांकि इसमें सफलता नहीं मिली। नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने राममूर्ति को टांडा से टिकट दे दिया। इसका पार्टी को लाभ भी मिला। अकबरपुर के कुर्मी मतदाताओं का जो एकजुट समर्थन एक मात्र सजातीय बसपा प्रत्याशी चंद्रप्रकाश वर्मा को मिलना था, वह नहीं मिल पाया।
सपा को भी कुर्मी मत अच्छी संख्या में मिले। रामअचल को सपा के परंपरागत मतों के अलावा राजभर मतों का भी लाभ मिला। इसके बावजूद अत्यंत कड़े संघर्ष में रामअचल को जीत हासिल हुई। इस सीट पर चंद्रप्रकाश को दोबारा चुनाव लड़ने का मौका मिला, लेकिन विधायक की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए। भाजपा प्रत्याशी धर्मराज मतगणना के अंतिम दौर में विधायक के कुर्सी के नजदीक पहुंचते दिखे जरूर, लेकिन कामयाबी उनसे भी दूर बनी रही।
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