छठे पेफी राष्ट्रीय फिजिकल एजुकेशन एवं स्पोर्ट्स साइंस सम्मेलन सम्पन्न हुआ.
खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी रही मुख्य अतिथि 
 
नई दिल्ली 12 मार्च, 2022: युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार की खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी की मौजूदगी में छठे राष्ट्रीय फिजिकल एजुकेशन एवं स्पोर्ट्स साइंस सम्मेलन का समापन हो गया। फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफ़ी) ने भारत सरकार के खेल एवं युवा मामले मंत्रालय के सहयोग से 11 और 12 मार्च को नई दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एनडीएमसी के कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन किया।
कार्यक्रम के समापन सत्र की मुख्य अतिथि श्रीमती सुजाता चक्रवर्ती ने यहां मौजूद शारीरिक एवं खेल शिक्षा से जुड़े लोगों के महत्व की ओर ध्यानाकर्षित किया। उन्होंने कहा कि आप लोग बहुत महत्व रखते हो, इसीलिए आज आपसे मिलने के लिए आई हूँ । जब तक फिजिकल एजुकेशन के क्षेत्र में काम नहीं होगा, तब तक समाज में फिटनेस को लेकर जागृति नहीं आएगी। आप लोग इस दिशा की ओर कार्य कर रहे हो। उन्होंने आगे कहा कि 2019 के पिछले सम्मेलन में आप लोगों ने एंटी-डोपिंग को लेकर अच्छा प्रचार-प्रसार किया था। उम्मीद है कि आप लोग आगे भी अच्छे कामों को जारी रखेंगे। 

इस अवसर पर पेफ़ी के राष्ट्रीय सचिव एंव इस सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. पीयूष जैन ने श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी से आग्रह किया कि शारीरिक शिक्षा को मान्यता देने का वक्त आ गया है। डॉ. जैन ने कहा कि यह तब ही सम्भव हो सकता है जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शारीरिक शिक्षा को सम्मानजनक स्थान दिया जाए।

दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण भारतीय खेलों और शारीरिक शिक्षा के भविष्य पर खुली चर्चा रही, जिसका संचालन जाने-माने वरिष्ठ खेल पत्रकार राजेंद्र सजवाण ने किया। इसमें, ओलम्पिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त, द्रोणाचार्य राज सिंह, योगेश मालवीय, तपन पाणिग्रही, अर्जुन अवार्डी यशपाल सोलंकी और अन्य खेल हस्तियां भाग लिया। 

2012 के लन्दन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त ने अपने विचार रखते हुए कहा, “खेल और शिक्षा का एक साथ चलना जरूरी है। मेरे माता-पिता शिक्षक हैं लेकिन दोनों ने कभी भी मुझे कुश्ती करने से नहीं रोका। यही कारण है कि मुझे “खेलोगे कूदोगे होंगे खराब” वाली कहावत कभी पसंद नहीं थी।” 

ओलम्पिक, एशियाड, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और कॉमनवेल्थ खेलों में देश के लिए पदक जीतने  वाले योगेश्वर ने सम्मेलन में भाग लेने आए शिक्षकों और खेल हस्तियों को सम्बोधित करते हुए कहा, “वे कुछ ऐसा करें ताकि शारीरिक शिक्षा और खेल एक साथ आगे बढ़ें। हालांकि, जब तक देश का शारीरिक शिक्षक साधन संपन्न और संतुष्ट नहीं होगा तब तक हम स्वस्थ और मज़बूत दिल दिमाग वाले युवा तैयार नहीं कर सकते।” 

अपने भार वर्ग के वर्ल्ड नंबर एक पहलवान रहे योगेश्वर के सिर पर हमेशा द्रोणाचार्य राजसिंह का हाथ रहा। दो दशक से भी अधिक समय तक चीफ कुश्ती कोच रहे राज सिंह मानते हैं कि खेल और शारीरिक शिक्षा के बीच तालमेल जरूरी है। वह खुद शारीरिक शिक्षक से भारत के श्रेष्ठ कुश्ती कोच बने लेकिन उन्होंने हमेशा खेल और पढाई-लिखाई को एक साथ आगे बढ़ाने पर जोर दिया। योगेश्वर की  तरह ही उन्होंने भी देश के शारीरिक शिक्षकों  को अधिकाधिक प्रोत्साहन देने कि मांग की। 

देश में शारीरिक शिक्षा और खेल के भविष्य के रोड मैप के बारे विचार व्यक्त करते हुए टेबल-टेनिस के द्रोणाचार्य तपन पाणिग्रही, मलखंभ द्रोणाचार्य योगेश मालवीय, जूडो के अर्जुन अवार्डी यशपाल सोलंकी, दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (दिल्ली फुटबॉल) के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन, एशियन मैराथन चैम्पियन  सुनीता गोदारा और अनेकों तैराकी कीर्तिमान स्थापित करने वाली जानी-मानी स्विमर मिनाक्षी पाहूजा ने खेल के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा के महत्व को स्वीकार किया। 

योगेश मालवीय ने अपना दुखड़ा रोते हुए कहा कि द्रोणाचार्य अवार्ड पाने के बाद भी वह बारह हज़ार महीने के वेतन पर काम करने के लिए विवश हैं तो सुनीता गोदारा ने मैराथन में आए बदलाव को खेल और शारीरिक शिक्षा के तालमेल का सुखद परिणाम बताया। 

यशपाल सोलंकी के अनुसार देश के अधिकांश जूडो खिलाड़ी शारीरिक शिक्षकों की मेहनत से आगे आ रहे हैं। शाजी प्रभाकरन मानते हैं कि अच्छा फुटबॉलर वही बन सकता है जिसने शारीरिक शिक्षा का पाठ बखूबी पढ़ा हो। तरणताल में तहलका मचाने वाली, विशाल समुद्र-चैनलों को पार करने वाली और अनेक सम्मान पाने वाली लेडी श्रीराम कॉलेज की डायरेक्टर स्पोर्ट्स मिनाक्षी पाहूजा को अच्छी शिक्षा और खेल के गुण विरासत में मिले।  पिता श्री पाहूजा से मिली शिक्षा दीक्षा को उन्होंने गंभीरता से अपनाया। यही कारण है कि वह आज टीम पेफी की अगली कतार में खड़ी हैं।
उमेश चंद्र तिवारी
हिन्दीसंवाद न्यूज
9129813351

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