_संगठन में जातिवाद व व्यक्तिवाद अपराध है - राव_ 
न्यूज रणजीत जीनगर
सिरोही - भारत चाणक्य परिषद् की बैठक गांधी पार्क सिरोही में सम्पन्न हुई ।बैठक को सम्बोधित करते हुये प्रदेश महामंत्री गोपालसिंह राव ने बताया कि  जातिवाद व व्यक्तिवाद बडे संगठनों के लिये  बहुत बडा अपराध व अभिशाप है । संगठनों में  25 - 30 वर्ष से एक जाति व वर्ग समुदाय  के ही व्यक्ति प्रमुख पद पर रहना जातिवाद व व्यक्तिवाद की पराकाष्ठा है ।कुछ जातिवादी व व्यक्तिनिष्ठ स्वार्थी संगठन को भाभाओं का संगठन , आकाओं का संगठन , भाई भतिजावाद का संगठन ,जातिवादी संगठन , परिवार का संगठन , चमचों का संगठन , चाटुकारों का संगठन ,एक व्यक्ति के दबदबे वाला संगठन बना देते है ।किसी जिले में 25 - 30 वर्ष तक एक ही जाति का जिला अध्यक्ष बनने से अन्य कार्यकर्ताओं को लगता है की संगठन में राजशाही चल रही है ।संगठन की स्थापना के बाद से ही एक जाति , वर्ग  का बोलबाला रहने से संगठन सर्व स्पर्शी व सर्व व्यापी नहीं हो सकते है ।संगठनों में  जातिवादी व व्यक्तिवादी लगभग 35-40 वर्ष से संगठन का मुख्य संगठक बनकर जातिवाद की चरम स्थिति संगठन में ला देते है ।जातिवादियों व व्यक्तिवादियों का विरोध करने वाले एक -एक कर ठीकाने लगा दिये जाते है।कुछ जातिवादी व व्यक्तिवादी संगठन से सेवानिवृत्त होने के बाद भी चिपके रहते है । सेवारत संगठनों में स्वयंभू बने रहकर व्यक्तिवाद व जातिवाद की पराकाष्ठा करते है ।संगठन के दायित्वों देने, कार्यक्रमों का आयोजन करने , प्रिन्ट् व इलेक्ट्रानिक मिडिया का कार्य करने, संगठन के मुख पत्रों , बैनर , पोस्टर , झण्डी बनवाने , प्रवास कार्यक्रम तय करने ,रंगाई छपाई कार्य , संगठन के कार्यालय व अन्य सभी निर्माण , खरीदी कार्य यानी संगठन के सभी तथा प्रत्येक कार्य में  पर वन मैन शो की स्थिति ला देते है ।लोकतांत्रिक संगठनों के लिये यह स्थिति कभी भी ठीक नहीं हो सकती ।चुनावों में लोकतंत्र की जगह तथाकथित कुछ संगठनों में  संगठन की व्हीप चलती है । जो व्हीप कहीं जाती है वो मुख्य ढाल बना देते है ।संरक्षकों से उनकी ही व्हीप चलवाते है ।जो जातिवाद व व्यक्तिवाद के पोषक व उनके यश मैन होते है ।अपने से शीर्ष दो चार सज्जनों , संरक्षकों को साधकर रखने में जातिवादी व व्यक्तिवादी पुर्णतया निपुण होते है ।जातिवादी व व्यक्तिवादी सभी जिलों में संगठनों को दो खेमों में बाटकर दोनों समूहों व खेमों को लडाते रहने का कार्य भी करने में माहिर  होते  है । दोनों खेमों को साधकर रखते है ।फूट डालो व राज करो में ये व्यक्तिवादी व जातिवादी सिद्ध हस्त होते है ।प्रदेश कार्यकारिणी  में भी सब अपने पक्षधर ही रखने का प्रयास करते है ।प्रदेश कार्यकारिणी की रही सही कमी मनोनयन में पुरी कर देते है ।शक्ति का संतुलन अपने हाथों में रखकर रिंग मास्टर बनकर बैठ जाते जातिवादी व व्यक्तिवादी है । ऐसे धूर्तों के हाथों में संगठन की बागडोर सौंपकर संरक्षकों व जिम्मेदारों का मूक दर्शन रहना संगठन हित में ठीक स्थिति नहीं हो सकती  है ।स्वयंभू जातिवादी व व्यक्तिवादी की आज्ञा की के आज्ञाकारी , चमचे कठपुतली बनकर सच्चे समर्पित कार्यकर्ताओं को षड्यंत्र करके कुचलते रहते है । चाटुकारों की मंडली बनाने से संगठन सर्व स्पर्शी व सर्व व्यापी नहीं बन पाते है ।कार्यक्रम को महेन्द्र कुमार , सवाराम , भंवरसिंह सोलंकी ने भी सम्बोधित किया ।बैठक में प्रवीण कुमार लोहार , रामलाल माली , गोविन्द सोनी , जगमालसिंह देवडा , लता मेघवंशी , मोहनलाल कुम्हार , मालती त्रिपाठी ,भाग्य श्री रावल , भानुप्रतापसिंह ,चम्पालाल , सकाराम मीणा , सहित परिषद् के सदस्य उपस्थित रहे ।

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