आज भारत उत्थान न्यास (भाषा एवं साहित्य मंच) के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर राष्ट्रीय ई- संगोष्ठी: "भारतीय भाषाओं का समन्वय संभावना एवं विकल्प" का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की शुरुआत जयपुर की डॉ. मीनाक्षी बघेल द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति से हुई। मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध कवियित्री शबीना अदीब ने अपनी शायरी और कविताओं के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। विशिष्ट अतिथि राजस्थान के श्री सुरेन्द्र मोहन शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों को भी हिन्दी भाषा में स्थान मिलना चाहिए और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्यों में साहित्य अकादमी बनें और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षक तैयार किए जाने चाहिए। विशिष्ट वक्ता, डॉ. वत्सला ने भी अपने विचारों व्यक्त करते हुए कहा कि सभी को अपनी मातृभाषा को सम्मान देना चाहिए और अन्य भारतीय भाषाओं को भी सीखने की कोशिश करनी चाहिए। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए भाषा एवं साहित्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बरेन सरकार ने सभी से अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करने की अपील की। मंच की राष्ट्रीय सचिव, डॉ. माहे तलत सिददकी ने स्वागत भाषण में कहा कि आज भारत उत्थान न्यास भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में बहुत तेजी से कार्य कर रहा है यह उसी का परिणाम है कि आज इस संगोष्ठी में अनेक भाषाओं के विद्वान उपस्थित होकर अपने विचारों से हमें लाभान्वित कर रहे हैं। संगोष्ठी का संचालन जयपुर की डॉ. सोना अग्रवाल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आंध्र प्रदेश के चिरंजीवी राव लिंगम ने दिया। यहां प्रमुख रूप से संगोष्ठी के संरक्षक, सुजीत कुंतल, स्वर्ण ज्योति (पांडिचेरी) अर्चना फौजदार (अलीगढ़) डॉ. कमल भूरिया ( झाबुआ) अन्वेश कुमार सिंह (कानपुर) डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी ( लखनऊ) माला श्रीवास्तव ( ग्वालियर) आदि उपस्थित रहे।
भारतीय भाषाओं का समन्वय संभावना एवं विकल्प" का आयोजन किया गया
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