जेल में बंदियों के अराजक होने का एक कारण यह भी है कि बैरक में क्षमता से अधिक बंदियों को रखा गया है, उन पर निगरानी के लिए बंदी रक्षकों की एक अरसे से कमी है। 747 बंदियों की क्षमता वाले जिला जेल में इस समय 2514 बंदी निरुद्ध हैं।
50 बंदियों की क्षमता वाले बैरक में 150 बंदियों को ठूंसकर भरा गया है, लिहाजा आए दिन छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं। वहीं, बंदी रक्षकों की संख्या कम होने के कारण निगरानी व्यवस्था में ढिलाई रहती है। मुट्ठी भर फोर्स में सिर्फ 95 बंदी रक्षक हैं। जेल अधीक्षक एक, तीन डिप्टी जेलर और 95 बंदी रक्षक के अलावा अस्पताल के चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ की भी संख्या कम है।कार्यालय में काम करने वाले बाबुओं की भी दरकार है। कई बार प्रस्ताव बनाकर जिला जेल प्रशासन की ओर से मुख्यालय को भेजा गया, लेकिन अब तक जेल का मैन पावर नहीं बढ़ सका। यही वजह है कि जब भी घटनाएं होती है तो फिर उन्हें काबू करना आसान नहीं होता है।
50 बंदियों की क्षमता वाले बैरक में 150 बंदियों को ठूंसकर भरा गया है, लिहाजा आए दिन छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं। वहीं, बंदी रक्षकों की संख्या कम होने के कारण निगरानी व्यवस्था में ढिलाई रहती है। मुट्ठी भर फोर्स में सिर्फ 95 बंदी रक्षक हैं। जेल अधीक्षक एक, तीन डिप्टी जेलर और 95 बंदी रक्षक के अलावा अस्पताल के चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ की भी संख्या कम है।कार्यालय में काम करने वाले बाबुओं की भी दरकार है। कई बार प्रस्ताव बनाकर जिला जेल प्रशासन की ओर से मुख्यालय को भेजा गया, लेकिन अब तक जेल का मैन पावर नहीं बढ़ सका। यही वजह है कि जब भी घटनाएं होती है तो फिर उन्हें काबू करना आसान नहीं होता है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know