उतरौला(बलरामपुर)
बुधवार रात उतरौला के ग्राम अमया देवरिया स्थित दरगाह हज़रत अब्बास अलमदार के रौज़े पर मुसलमानों के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब और उनके नवासे हज़रत इमाम हसन अ०स० के शहादत पर एक मजलिस का आयोजन किया गया।
मोनिस रिज़वी, सदाकत उतरौलवी, मीसम उतरौलवी, अली अम्बर रिजवी ने अपना कलाम पेश किया।
लखनऊ से आए मौलाना बिलाल काज़मी ने मजलिस में खिताब करते कहा कि दीन को समझो, दीने इस्लाम समझने का नाम है। अल्लाह ने कहा मैंने तुम्हें अपनी इबादत के लिए पैदा किया है। मेरी इबादत करो मेरी इबादत करना सिर्फ नमाज और रोजा नहीं है बल्कि नमाज के साथ अली को समझना भी इबादत है। नमाज दो तरीके की है। एक तो फुरादा और दूसरी बा जमात।
बा जमात नमाज पढ़ने में अगर सौ लोग हैं। और अगर एक की नमाज कुबूल हो गई तो सबकी नमाज़ कुबूल हो जाएगी।
मजलिस में मौलाना ने कर्बला के शहीदों का वाकेया बयान किया तो मजलिस मेँ बैठे सभी की आँखें नम हो गयी
मजलिस का संचालन मौलाना जायर अब्बास ने किया।
बाद मजलिस शबीह ए ताबूत की ज़ियारत करायी गयी। जिसमें मुकामी अंजुमन हुसैनिया अमया और बैरूनी अंजुमन कमरे बनी हाशिम उतरौला ने नोहाखानी और सीनाज़नी किया।
मोजिज़ हुसैन, अली सज्जाद, हबीब हैदर, हसन मेहदी, यावर हुसैन, वसी हैदर, इजहरूल हसन, रईस मेंहदी, अर्शी रिज़वी, शबाब हैदर, कायम मेंहदी समेत अनेक लोग मौजूद रहें।
असग़र अली
उतरौला
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