अंबेडकरनगर। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने वालों पर मेहरबानी का नया रूप सामने आया है। शासन के निर्देश पर गठित कमेटी की जांच सिर्फ नए सिरे से पुलिस वेरीफिकेशन तक सीमित है। इस कमेटी को शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना था, लेकिन इसे लेकर विभागीय अधिकारियों ने कुंडली मार रखी है। कमेटी ऐसे प्रमाणपत्रों के सत्यापन को लेकर मौन क्यों है और सत्यापन कब तक होगा, इसकी स्पष्ट जानकारी विभागीय अधिकारी नहीं दे पा रहे। सटीक जवाब देने की बजाय उनके द्वारा सिर्फ इधर-उधर की बातें ही की जा रही हैं। नतीजा यह है कि फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करने वाले फर्जी शिक्षकों को बेनकाब करने की मुहिम जिले में दम तोड़ रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों व कर्मचारियों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए शिक्षक की नौकरी हासिल करने वालों को रोकने की जिम्मेदारी है, वे शासन के सख्त निर्देश के बाद भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़े हुए हैं। लगभग एक वर्ष पहले शासन ने शिक्षकों की नियुक्ति में तमाम फर्जीवाड़े सामने आने के बाद निर्देश दिया था कि शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्रों का सत्यापन नए सिरे से कराया जाए। इसके लिए बाकायदा सभी जिले में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।अंबेडकरनगर में एडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी में एएसपी व बीएसए को भी रखा गया। कमेटी पर जिम्मेदारी थी कि वह शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित सभी प्रकार के प्रपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन कराए। शासन सत्यापन को लेकर अत्यंत गंभीर रुख अपनाए रहा, लेकिन इसका असर जिले में होता नहीं दिखा। कारण यह कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिक्षकों की डिग्री से संबंधित प्रमाणपत्रों की जांच में रुचि ही नहीं है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने से जानबूझकर विभाग बच रहा है। इसके एवज में कई स्तर पर विभाग में तगड़ी वसूली की भी चर्चा है।
शासन की प्राथमिकता के बावजूद जिले में गठित कमेटी ने सिर्फ जांच के नाम पर अब तक पुलिस वेरीफिकेशन को ही प्राथमिकता दी है। दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग ने सिर्फ पुलिस वेरीफिकेशन पर ही जोर बनाए रखा है। नतीजा यह कि 1025 शिक्षकों का नए सिरे से पुलिस वेरीफिकेशन कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। इनमें से 927 शिक्षकों की रिपोर्ट आ गई है। लगभग 100 शिक्षकों की रिपोर्ट अभी भी आनी बाकी है। इससे इतर शिक्षकों के सभी शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने की सुध बेसिक शिक्षा विभाग को नहीं है, जबकि इसी मूल कार्य के लिए शासन ने विशेष कमेटी का गठन कराया था।
लोगों का कहना है कि यदि कमेटी शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने की जिम्मेदारी का निर्वाह सुनिश्चित करे, तो अभी कई और शिक्षक जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी करते पकड़े जाएंगे। यह बात अलग है कि विभाग को इसकी परवाह नहीं है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीएसए समेत अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा यह जानकारी नहीं दी जा सकी कि पहले से कार्य कर रहे शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन को लेकर अब तक की प्रगति क्या है। जांच शुरू नहीं हुई है, तो इन प्रमाणपत्रों की जांच कब तक पूरी करा ली जाएगी।

बीएसए ने बदला बयान
बीएसए अतुल कुमार सिंह ने पहले कहा कि शासन के निर्देश पर जो कमेटी गठित है, वह सिर्फ पुलिस वेरीफिकेशन करा रही है। जब उन्हें बताया गया कि अपर जिलाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जल्द ही सभी शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच कराई जाएगी, तो बीसएस ने इधर-उधर का जवाब देने के बाद कहा कि हां, यहां भी सभी प्रमाणपत्रों की जांच कमेटी के माध्यम से होगी।
होगी सभी प्रमाणपत्रों की जांच
शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्रों की जांच शासन के निर्देश के अनुरूप प्राथमिकता के साथ होगी। बीच में कतिपय अन्य राजकीय कार्यों के चलते प्रमाणपत्रों की जांच नहीं हो पाई, लेकिन इसे तेजी से पूरा कराया जाएगा।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने