गोंडा। नसबंदी के बाद भी करनैलगंज के रुदौली गांव की एक महिला ने गर्भधारण किया और सातवें बच्चे को जन्म दिया है। महिला का कहना है कि पहले उसके पांच बेटियां और एक बेटा है अब एक बेटा और हो गया है। उसने नसबंदी कराई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिर्फ खानापूर्ति की गई। जिसका यह परिणाम है। अब मुआवजा देने में भी विभाग आनाकानी कर रहा है।
परिवार नियोजन के लिए सरकार नसबंदी मुहिम चला रही है। इसके लिए गांवों में आशा कार्यकर्त्ता प्रेरित भी करती हैं। करनैलगंज के रूदौली गांव का एक मामला चौंकाने वाला है। यहां के राधे की पत्नी राधा ने दिसंबर 2019 में नसबंदी कराई थी। राधे का कहना है कि उसके छह बच्चे पहले ही हो गए थे, ऐसे में अब वह और बच्चे नहीं चाहता था। लेकिन नसबंदी के बाद भी उसकी पत्नी ने सातवें बच्चे को जन्म दे दिया है। उसके पास आर्थिक समस्या पहले से है, सिर्फ पांच विस्वा खेत उसके पास है और वह मजदूरी करके किसी तरह घर-परिवार चला रहा था।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से नसबंदी कैंप में आशा कार्यकर्त्ता सुनीता गुप्ता की ओर से प्रेरित करने पर उसने पत्नी राधा की नसबंदी कराई थी जो फेल हो गई। उसने नसबंदी असफल होने पर प्रतिपूर्ति के लिए नोटिस भेजा तो विभाग के लोग आनाकानी कर रहे हैं। इसके अलावा उसने नसबंदी करने वाले चिकित्सक के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग की है कि आखिर ऐसी नसबंदी क्यों की गई कि उसे परिवार को चलाने में आजीवन दिक्कत आएगी।
सीएमओ ने अधीक्षक के माध्यम से मांगा प्रतिपूर्ति का दावा
करनैलगंज के रूदौली गांव की राधा का नसबंदी असफल होने पर सीएमओ ने अधीक्षक के माध्यम से प्रतिपूर्ति का दावा मांगा है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मधु गैरोला ने मामले की जानकारी होने पर प्रभावित परिवार को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवार असफल नसबंदी पर प्रतिपूर्ति के लिए दावा अधीक्षक के माध्यम से भेजें। दावे के साथ सौ रुपये के नोटरी पर निधार्रित प्रारूप पर शपथ पत्र भेजें और अल्ट्रासांउड रिपोर्ट साथ में हो। गर्भधारण की जानकारी होने के 90 दिन के भीतर दावा किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रभावित परिवार को पत्र भेजा गया है।
परिवार नियोजन के लिए सरकार नसबंदी मुहिम चला रही है। इसके लिए गांवों में आशा कार्यकर्त्ता प्रेरित भी करती हैं। करनैलगंज के रूदौली गांव का एक मामला चौंकाने वाला है। यहां के राधे की पत्नी राधा ने दिसंबर 2019 में नसबंदी कराई थी। राधे का कहना है कि उसके छह बच्चे पहले ही हो गए थे, ऐसे में अब वह और बच्चे नहीं चाहता था। लेकिन नसबंदी के बाद भी उसकी पत्नी ने सातवें बच्चे को जन्म दे दिया है। उसके पास आर्थिक समस्या पहले से है, सिर्फ पांच विस्वा खेत उसके पास है और वह मजदूरी करके किसी तरह घर-परिवार चला रहा था।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से नसबंदी कैंप में आशा कार्यकर्त्ता सुनीता गुप्ता की ओर से प्रेरित करने पर उसने पत्नी राधा की नसबंदी कराई थी जो फेल हो गई। उसने नसबंदी असफल होने पर प्रतिपूर्ति के लिए नोटिस भेजा तो विभाग के लोग आनाकानी कर रहे हैं। इसके अलावा उसने नसबंदी करने वाले चिकित्सक के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग की है कि आखिर ऐसी नसबंदी क्यों की गई कि उसे परिवार को चलाने में आजीवन दिक्कत आएगी।
सीएमओ ने अधीक्षक के माध्यम से मांगा प्रतिपूर्ति का दावा
करनैलगंज के रूदौली गांव की राधा का नसबंदी असफल होने पर सीएमओ ने अधीक्षक के माध्यम से प्रतिपूर्ति का दावा मांगा है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मधु गैरोला ने मामले की जानकारी होने पर प्रभावित परिवार को पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवार असफल नसबंदी पर प्रतिपूर्ति के लिए दावा अधीक्षक के माध्यम से भेजें। दावे के साथ सौ रुपये के नोटरी पर निधार्रित प्रारूप पर शपथ पत्र भेजें और अल्ट्रासांउड रिपोर्ट साथ में हो। गर्भधारण की जानकारी होने के 90 दिन के भीतर दावा किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रभावित परिवार को पत्र भेजा गया है।
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