गोंडा : यह खबर भले ही अटपटी लग रही हो लेकिन, सौ फीसदी सच है। वर्ष 2009 में बनाए गए नियम के तहत यदि किसी भी बंदी को सजा हो जाती है तो जेल में उसके द्वारा किए गए श्रम का 15 फीसद पीड़ित को देना होता है। इस व्यवस्था के तहत कैदियों के श्रम की मजदूरी से धनराशि की कटौती तो कर ली गई लेकिन, पीड़ित परिवारजन को प्रतिपूर्ति की धनराशि नहीं दिया जा सका है। यह धनराशि जेल प्रशासन के पास डंप है।
जिला कारागार में 950 बंदी निरुद्ध हैं। संबंधित थानों से रिपोर्ट न मिलने के कारण से योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। आरोपितों को उनके गुनाह की सजा के साथ-साथ उन्हें आर्थिक दंड भी भुगतना पड़े और पीड़ित को कुछ आर्थिक सहायता मिल सके, इसके लिए शासन ने वर्ष 2009 में पीड़ित प्रतिकर योजना लागू की। यह योजना तभी बंदियों पर लागू होगी जब उन्हें सजा हो। इस दौरान कारागार में किए गए श्रम की जो मजदूरी कैदी को मिलेगी उसकी 15 प्रतिशत धनराशि की कटौती कर पीड़ित परिवार को दिए जाने का नियम बनाया गया है। अब तक गोंडा कारागार में कैद 427 कैदियों से उनके द्वारा की गई कुल मजदूरी में से 15 प्रतिशत यानि छह लाख 47 हजार रुपये जेल प्रशासन ने कटौती कर रखी है। यह धनराशि जिन पीड़ित परिवारजन तक पहुंचानी थी उनके पास नहीं पहुंच सकी। अब तक दो पीड़ित परिवार ही इस धनराशि का लाभ पा सके हैं। जेल अधीक्षक शशिकांत सिंह ने बताया कि पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत सजायाफ्ता कैदियों की मजदूरी से की गई 15 प्रतिशत कटौती की धनराशि पीड़ित परिवार को दिए जाने के लिए एसपी व संबंधित थाना को रिपोर्ट भेजी जाती है। थाने से रिपोर्ट आने पर ही पीड़ित परिवारजन को नियमानुसार धनराशि दी जाती है।
हिन्दीसंवाद के लिए श्री शुभम गुप्ता की रिपोर्ट
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