#आखिर_स्कूल_कॉलेज_कब_खुली_धुवांधार_अवधी_कविता
सरकार कहति है लड़िकन का, बप्पा के छातिप चढ़े रहौ।
कोरोना मां तू घरे रहौ,औ मोबाइल से पढ़े रहौ।
(१)
लड़िकेन का आजादी मिलिगै,नाना मामक घर टहरत हैं।
कापी किताब दुश्मन होइगा खाये नोनबरिया पंहरत हैं।
जौ बप्पक मुंह से निकरि जाय,पुतऊ कापी किताब खोलौ।
तौ कहैं फोन मंगवाय देव,फिर हमका पढ़ैक लिखैक बोलौ।
दारू खुलिगा सब कुछ खुलिगा, स्कूल मां ताला जड़े रहौ।
सरकार कहति है लड़िकन का, बप्पा के छातिप चढ़े रहौ।
कोरोना मां तू घरे रहौ,औ मोबाइल से पढ़े रहौ।
(२)
कापी किताब मां घर बिकान,अब खेत बेंचि कै फोन लिहिन।
हाथे मां चारिव लड़िकन के,मनमारि बाप पकराय दिहिन।
तब शुरू शुरू मां झूठ सांच,भैया दुइ चारि क्लास लिहिन।
फिर सनी लियोनिक भक्त भये,औ आपन सत्यानाश किहिन।
तू पायेव है डिजिटल ढर्रा,अब यही पै आगे बढ़े रहौ ।
सरकार कहति है लड़िकन का बप्पा के छातिप चढ़े रहौ।
कोरोना मा तू घरे रहौ,औ मोबाइल से पढ़े रहौ।
(३)
डिजिटल क्लास से यूपी मां, खाली दस प्रतिशत पढ़ि पइहैं।
रुपया पैसा जेकरेे गाँजा , बस उनही आगे बढ़ि पइहैं।
आदेश किहौ तौ लरिकन का, टिचरेन का डिजिटल फोन देव।
जौ आप अगर ना दै पावव, तौ बैंकन द्वारा लोन देव।
बस कलमि चलावौ बैठिं हुंवा यक दोसरेप गलती मढ़े रहौ.
सरकार कहति है लड़िकन का बप्पा के छातिप चढ़े रहौ।
कोरोना मा तू घरे रहौ,औ मोबाइल से पढ़े रहौ।
~नीरज नालायक श्रावस्ती
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