काल्पनिक अल्फ़ाज़

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ह्रदय  के  कोने कोने में 

अँखियों के झरोको से,

तेरे प्रणय निवेदन से

उलझे से अंजुमन में 

प्रेम झलकता है।।


आपके  किये कार्यो में

 सुझावों की चाह में 

आपकी वाणी में,

शीतल मन्द बयार में

गर्मी की तपिस में 

मौषम के बदलाव में भी ,

अपनापन दिखता है।।


तभी तो संग आपके

मुस्कुराने का मन करता है

और आपको ह्र्दयतल से

अपनाने का मन करता है।।


कौन कहता है कि आप 

ह्रदय  नहीं लगा सकते।

और किसी को  भी 

अपना नही बना सकते।

क्योंकि  ये, 

 ह्रदयरूपी प्रेम का मामला है।

जिसे पत्थर ह्रदय,निभा नही सकता।।


फूलों की तरह सुंदर हो।

प्रकृति का तुम वंदन हो,

मन  के  भीतर भी विराजित

 चांदनी से भी समुन्दर हो।।


इसलिए कहती हूं की,

तुम खिलता हुआ गुलाब हो।

अनदेखा सा ख्वाब हो

ईश्वर का आशीर्वाद हो

इसलिए ही सबसे खास हो।।


मनचाहा सा एहसाह हो।

अद्भुद सा प्रेमालाप हो

तभी तो मन  करता है, 

कि तुम्हें देखकर ही रहूं।

और अपने ह्रदय को,

थोड़ा शीतल कर सकूं।।


लेखिका - प्रियंका द्विवेदी

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