यही है असली वाला माहिष्मती। दरअसल महेश्वर यानि रानी अहिल्या बाई होलकर की नगरी है। रानी अहिल्या बाई ने होलकर की राजधानी को इंदौर से नर्मदा किनारे स्थित महेश्वर में स्थानांतरित किया तथा यहीं से उन्होंने शासन किया। भगवान् शिव एवं माँ नर्मदा पर उनकी असीम आस्था थी। ये उनके लिए शक्ति व प्रेरणा का स्त्रोत थे। महेश्वर एक ऐसी नगरी है जिसमें आप जहां भी जाएँ, आप नर्मदा से कभी दूर नहीं होते।
प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में इसे माहिष्मती कहा गया है। जी हाँ! वही माहिष्मती जिसका नाम आपने जगप्रसिद्ध चलचित्र बाहुबली में सुना होगा। कहा जाता है कि एक समय यहीं राजा सहस्त्रार्जुन ने रावण को ६ मास के लिए बंदी बनाया था। राजराजेश्वर मंदिर परिसर में आप उनका मंदिर देख सकते हैं। रामायण एवं महाभारत, दोनों महाकाव्यों में महेश्वर का उल्लेख प्राप्त होता है। यह प्राचीन अवन्ती का एक भाग था जिसे आज हम उज्जैन के नाम से जानते हैं।
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार महेश्वर पर मौर्य एवं गुप्त शासकों तथा हर्षवर्धन ने भी अपने अपने समय पर शासन किया है। तत्पश्चात इस पर दिल्ली सल्तनत एवं अकबर ने अधिपत्य जमा लिया। मराठाओं ने १८वी. सदी में इसे पुनः प्राप्त किया। जब अहिल्या बाई होलकर ने मालवा की सुबेदारी संभाली तब उन्होंने अपनी राजधानी इंदौर से महेश्वर स्थानांतरित की थी। मेरे अनुमान से नर्मदा नदी के प्रति उनकी श्रद्धा व प्रेम ने उन्हें ऐसा करने पर बाध्य किया होगा।
इतिहास पर नजर डालें तो बाहुबली फिल्म में जिस महिष्मति रियासत की बात हुई है, उस पर हैहय वंश के क्षत्रियों का राज था। फिल्म में राजधानी माहिष्मति जो नर्मदा के तट पर स्थित थी। बाहुबली में इसे जि़ला इंदौर मध्य प्रदेश में स्थित महेश्वर नामक स्थान से किया गया है। यह इंदौर से ९५.१ किलोमीटर की दूरी पर है, जो पश्चिम रेलवे के अजमेर-खंडवा मार्ग पर बड़वाहा स्टेशन से ३५ मील दूर है। महाभारत के समय यहां राजा नील का राज्य था, जिसे सहदेव ने युद्ध में परास्त किया था।
कलिदास के अनुसार-
'ततो रत्नान्युपादाय पुरीं माहिष्मतीं ययौ।
तत्र नीलेन राज्ञा स चक्रे युद्धं नरर्षभ:।
राजा नील महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ता हुआ मारा गया था। बौद्ध साहित्य में माहिष्मति को दक्षिण अवंति जनपद का मुख्य नगर बताया गया है। बुद्ध काल में यह नगरी समृद्धिशाली थी व व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात थी। इसके ठीक बाद उज्जयिनी (उज्जैन) की प्रतिष्ठा बढऩे के साथ-साथ इस नगरी का गौरव कम होता गया।
फिर भी गुप्त काल में ५वीं शती तक माहिष्मति का बराबर उल्लेख मिलता है। कालिदास ने रघुवंश में इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में नर्मदा तट पर स्थित माहिष्मति का वर्णन किया है और यहां के राजा का नाम प्रतीप बताया है।
फ़िल्म बाहुबली ही नही बल्कि फ़िल्म गौतमी पुत्र शातकर्णी की शूटिंग भी यहीं हुई है। फ़िल्म बाहुबली काल्पनिक ही सही लेकिन इतिहास में जगह माहिष्मती यही है।
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