इस देश का दुर्भाग्य रहा है की राष्ट्रीय राजनीति हो या फिर क्षेत्रीय राजनीति दशकों से विभाजिकरण की नीति से लोगो को आपस में बाँट कर वोट बैंक की राजनीति के रूप में प्रयोग किया जा रहा है | वास्तविक मुद्दों को राजनैतिक पार्टियाँ लोगो के जेहन में स्थायी रूप से आने से पहले ही नये अनावश्यक मुद्दों को छेड़ देती है | जिसमे लोग उलझ जाते है और कुछ हद तक राजनैतिक पार्टियों का उद्देश्य पूरा भी हो जाता है | हमें जाति, धर्म, मजहब, भाषा, क्षेत्र, पहनावें समेत कई आधारों में विभाजित किया गया है | आज उत्तर प्रदेश समेत पुरे भारतवर्ष में ब्राम्हण चर्चा का विषय बने हुए है | वजह ब्राम्हणों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों को बताया जा रहा है | सरकार बनने के पश्चात् गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के यहाँ पुलिस का छापा पड़ना, कानपुर के बिकरू के विकास दुबे को नाटकीय ढंग से एनकाउंटर में मारा जाना, विकास दुबे के 5 ब्राम्हण साथियों का एनकाउंटर में मारा जाना, गाजीपुर में राकेश पाण्डेय का मुठभेड़ में मारा जाना और पूर्वांचल के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ कार्यवाही किया जाना, ब्राम्हण समाज की सरकार के प्रति नाराजगी का कारण बताया जा रहा है | हालाँकि राज्य सरकार, 141 एनकाउंटर में 11 ब्राम्हणों की हत्या को ही बता रही है |
सोशल मीडिया समेत कई अन्य जगहों पर ब्राम्हणों की नाराजगी को देखा जा सकता है, मौके का लाभ उठाने के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी ने भगवान् परशुराम की 108 फ़ीट ऊँची मूर्ति लगवाने की घोषणा करके, ब्राम्हणों को अपने पक्ष में करने की मुहीम तेज कर रखी है | आपको बता दे की हिन्दू धर्म में परशुराम को भगवान् विष्णु का छठा अवतार माना जाता है और इनका जन्म उत्तर प्रदेश में ही हुआ था | इसके बावजूद शायद ही इनका कोई बड़ा मंदिर उत्तर प्रदेश में हो | ब्राम्हणों के अराध्य देवों में से यह एक है | राजनीति को हवा तब और अधिक मिल गयी जब बहुजन समाजवादी पार्टी ने 108 फ़ीट से भी ऊँची परशुराम की मूर्ति लगवाने की घोषणा, सत्ता में आने के बाद की | कांग्रेस पार्टी के नेता जितिन प्रसाद ने भी मौके को अपने पार्टी के पक्ष में करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध कर डाला की प्रदेश में परशुराम जयंती की सार्वजनिक छुट्टी की जाये, जो वर्तमान सरकार को सत्ता में आने पर ख़त्म कर दी गयी थी | अपने एक पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश के सभी विधायको से अपील किया है की ब्राम्हण समाज के लोगो की हत्याओ और उन पर बढ़ते अत्याचार के मुद्दों को विधानसभा सत्र में उठाये और अविलम्ब इस पर रोक की मांग भी करें | सभी पार्टियों का उद्देश्य एक ही है, वह है ब्राम्हण वोटरों को अपने पक्ष में करना | जिसका प्रभाव 2022 के चुनाव में वास्तविक रूप से सबको, सामने दिखेगा |
विरोधियों से तीखे प्रहार झेल रही सत्तारूढ़ पार्टी को इस विषय पर आन्तरिक चुनौतियाँ भी मिलनी शुरू हो गयी है | जो मामले को और बढ़ा रही है | भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी उमेश द्विवेदी ने ब्राम्हणों के लिए अलग से बीमा की बात की है, वही सुल्तानपुर जिला के बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने प्रदेश के गृह मंत्री से पत्र के माध्यम से पूछा है की, पिछले तीन सालो में कितने ब्राम्हणों की हत्या हुई ? कितने हत्यारे पकडे गए ? कितनो को सजा हुई ? ब्राम्हणों की सुरक्षा कैसे करेगे ? क्या प्राथमिकता पर हथियार लायसेंस देगे ? कितनो ब्राम्हणों को हथियार लायसेंस दिया गया ? कुछ लोगो का मानना है की सत्तारूढ़ पार्टी में ब्राम्हण विधायको या सांसदों की बातों की कोई सुनवाई भी नहीं है |
जितनी सच्चाई इस बात में है की देश की सत्ता की बागडोर का रास्ता उत्तर प्रदेश से निकलता है, उतनी सच्चाई इस बात में भी है की किसी भी पार्टी के सफलता के पीछे कई अहम भूमिकाओं में महत्वपूर्ण भूमिका में ब्राम्हणों का सहयोग हमेशा रहा है | संख्या की दृष्टि से सर्वाधिक ब्राम्हण जनसँख्या भी उत्तर प्रदेश में है जिनकी कुल जनसँख्या 10 से 11 प्रतिशत के मध्य है | जबकि कुल आबादी में प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक ब्राम्हण उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश में है | भारत में कुल आबादी का 5 से 6 प्रतिशत के मध्य ब्राम्हण है | यही वजह है की सभी राजनैतिक पार्टियाँ ब्राम्हणों को अपने पक्ष में करना चाह रही है | इन्हें अपने पक्ष में करना सबसे आसान होता है क्योंकि इनकी आकांक्षा कितनी सीमित होती है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की "चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत का सम्राट बनने के बाद चाणक्य के पैरो पर गिर कर महल, धन दौलत इत्यादि की पेशकस किया, चाणक्य ने कहा - मै एक ब्राम्हण हूँ, मेरा कर्म शिष्यों को सिखाना और सामान्य मनुष्य की तरह रहना है, इसलिए अपने गाँव लौट रहा हूँ, मुझे धन-संपदा में कोई दिलचस्पी है | आप इतिहास के किसी काल में देश में ब्राम्हणों के शासन का प्रमाण नहीं पायेगे | वसुधैव कुटुम्बकम और ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः विचारो के जनक ब्राम्हण ही है | जो इनके देश, समाज और लोगो के प्रति समर्पण को दर्शाता है |
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में ब्राम्हणों के घर आज भी ठाकुर पूजा होती है साथ ही ठाकुरों के घर ब्राम्हण की पूजा होती है, वर्तमान सरकार में पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव ब्राम्हण ही है इससे अधिक गौरव और आपसी एकता की बात राजनीति से उपर उठकर क्या हो सकती है | राजनैतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से कई वर्षो से ब्राम्हणों को विलेन के रूप में कई पार्टियों ने प्रस्तुत किया है जबकि सच्चाई यह है की ब्राम्हण अपने वजूद को बचाने के लिए वर्षो से संघर्षरत है | सेंटर फॉर दी स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज 2007 के अनुसार 50 प्रतिशत ब्राम्हण घरो की मासिक आय $100 से भी कम है | 10 प्रतिशत से भी कम ब्राम्हण पुजारी या वैदिक शिक्षा के कार्यो में लगे हुए है | अपने सिधान्तो और आदर्शो के विपरीत जाकर आज अनेको ब्राम्हण जीवन निर्वहन के लिए तुच्छ कार्यो में भी लगे हुए है | देश में लाखो कश्मीरी पंडितो की स्थिति किसी से छिपी नहीं है | जे. राधाकृष्ण द्वारा लिखित और चुग प्रकाशन द्वारा प्रकाशित बुक "Brahmins of India" के अनुसार 53.9 प्रतिशत उच्च वर्ग की आबादी गरीबी रेखा से निचे रहती है | तमिल लेखक सीतारमण ने दावा किया था की जनसँख्या के अनुपात में ब्राम्हण अल्पसंख्यक है और 80 प्रतिशत ब्राम्हण आर्थिक रूप से गरीब है | यानि ब्राम्हण हमेशा देना जानते है चाहे देश की बात हो, समाज की बात हो या व्यक्ति की जरूरतों की बात हो |
ब्राम्हण "United by cast, divided by thoughts" रहें है शायद इसी वजह से आज तक इनके जमीनी मुद्दे सरकार के सामने कभी नहीं आ सके बल्कि इन्हें कई लोगो/संगठनो द्वारा अपराधी के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है | जिसके पीछे राजनैतिक कारण के अलावा और कुछ भी नहीं है | आज न केवल ब्राम्हण समुदाय बल्कि सभी धर्म, मजहब, जाति, क्षेत्र, पहनावें के लोग समान शिक्षा, सामान रोजगार अवसर, सामान स्वास्थ्य सुविधाए, सामान जमीनी आधारभूत सुविधाओं की चाह सरकार से रखते है | सभी लोग अपराध मुक्त प्रदेश की चाह रखते है | यदि अपराध और अपराधी की बात करें तो ब्राम्हणों में इनके प्रति किसी भी तरह की अपनत्व भावना कभी नहीं रही है पर इस बात पर कई लोग सहमत जरुर है और उनके असंतोष का कारण भी है की, क्या राज्य सरकार सभी बड़े अपराधियों के प्रति सामान भाव से कार्यवाही कर रही है, जिस तरह से ब्राम्हणों के प्रति एक मुहीम के तहत की जा रही है ? क्या प्रदेश में सिर्फ ब्राम्हण ही अपराधी बचे हुए है ?
डॉ अजय कुमार मिश्रा
drajaykrmishra@gmail.com
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