चाँद पे अगर नूर नही होता,
तन्हा दिल मजबूर नही होता ।
मिलने तो आते हम आप से रोज,
आपका घर दूर नही होता
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जिंदगी की भीड़ में कुछ लोग मिलेंगे,
कही ज्यादा तो कही कम मिलेंगे ।
जरा सोच समझ कर बोलना जरूर, नही हर जगह हम मिलेंगे ।
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मुस्कान सक्सेना
बुलन्दशहर
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