खेल और निस्वार्थ भाव से समाजसेवा आपके अंदर के इंसान को जन्म देती है - अमनप्रीत
दिल्ली: पहले के ज़माने में लोग कहते थे खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, लेकिन पिछले कुछ दशकों से ये कहावत बदलकर हो गई है खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब जो आज सच भी साबित हो रही है। 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद की याद में इस दिन को भारतीय खेल दिवस घोषित किया गया। मेजर ध्यान चंद हॉकी की दुनिया का को बादशाह जिसने अकेले 570 गोल मारकर भारत को ओलंपिक में तीन बार 1928, 1932, 1936 में गोल्ड मेडल दिलाया था। आज दिल्ली आयकर विभाग में कार्यरत ज्वाइंट कमिश्नर अमनप्रीत सिंह महिलाओं की सुरक्षा और स्वछता के लिए दिन प्रतिदिन नए नए गोल कर रही है।
कोरोना के कारण लगने वाले लॉकडाउन से जो सिलसिला शुरू हुआ आज देश के 17 से अधिक राज्य और करीब 12.5 लाख महिलाओं तक पहुंच चुका है। अमनप्रीत हर उस महिला तक सैनिटरी नैपकिन पहुंचना और माहवारी के प्रति जागरूक करना चाहती हैं जो आजतक इन दोनों की हकदार तो थी लेकिन कारणवश उसे हासिल नहीं कर पा रही थी। खेल दिवस के उपलक्ष्य में भारत की पैड वूमन की ख्याति प्राप्त कर चुकी अमनप्रीत पंजाब के पटियाला के छोटे से गांव बख्शिवाला पहुंची। और वह उन्होंने अपनी दोस्त और पटियाला की एसएसपीओ आरती वर्मा और प्रियल भारद्वाज की संस्था संगिनी सहेली के समाजसेवकों के साथ मिलकर महिलाओं में निशुल्क सैनिटरी नैपकिन का वितरण कर वहां की महिलाओं को मासिक धर्म और उसके कारण होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक किया।
ज्ञात हो कि आयकर विभाग की ज्वाइंट कमिश्नर अमनप्रीत राष्ट्रीय स्तर पर लोगों से ख्याति प्राप्त कर चुकी है। उनके निस्वार्थ भाव से समाजसेवा के कार्य की लोग तारीफ करते हैं। उन्होंने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के ऐसे गांवों तक भी सैनिटरी नैपकिन वितरित किए हैं जिनका नाम तक लोगों को नहीं पता। समाजसेवा के उनके इस भाव ने उनके ज़िन्दगी को एक नया आयाम दिया है, जिसकी वजह से उन्हें जीवन से असली मतलब का ज्ञान हुआ जिसमें सिर्फ और सिर्फ असहाय लोगों की मदद करना ही लिखा है। राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर उनका कहना था कि खेल हमें एक दूसरे से जोड़ते हैं, खेल हमारे अंदर की प्रतिभा को बाहर लाने में मदद करते हैं और इसलिए हर इंसान को अपने जीवन में किसी ना किसी खेल के साथ जुड़े रहना चाहिए।
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