प्रदेश में लगातार बढ़ रही बेकारी और बेरोजगारी पर चिंता व्यक्त करते हुये लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की सरकार लगातार रोजगार देने और लोगों को बेहतरी की ओर ले जाने का ढिंढोरा पीट रही है जबकि वास्तविकता यह है कि सरकारें अपनी सोची समझी रणनीति के द्वारा बेकारी और बेरोजगारी बढाने का उपक्रम कर रही हैं। केन्द्र सरकार के अधीन रेलवे विभाग में करोड़ों की तादात में रजिस्टर्ड कुली हैं जो 6 माह से बेकारी झेल रहे है और अब भी रेलों को चलाने की कोई घोषणा नहीं हो रही है जबकि परिवहन विभाग की बसे लगातार आवागमन कर रही हैं।
सरकारे आमजनता की जेब पर अधिक बोझ डालने और सरकार की कमाई बढ़ाने की नीयत से रेले न चलाकर बसों से आवागमन करने के लिए मजबूर कर रही हैं।बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के द्वारा 50 प्रतिशत लोंगो को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है जिसमें एक या दो साल से नियुक्ति पाये हुये तथा अधिक वेतन भोगी लोगो की संख्या अधिक है। दोनो ही सरकारे कम्पनियों की इस प्रकार की मनमानी पर चुप्पी साधे बैठी हैं। आॅटोमोबाइल सेक्टर के साथ साथ रियल स्टेट के कार्य लगभग न के बराबर चल रहे हैं और इनमें लगे हुये मजदूर अपना परिवार पालने के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं।
ऐसा लगता है कि सरकारे सरकारी संसाधनों को पूंजीपतियों के हाथों बेचकर तथा बेकारी और बेरोजगारी बढाने की साजिद के फलस्वरूप निजीकरण के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना चाहती है। कोरोनाकाल की आपदा को अवसर में बदलने का सरकारों ने सबसे अच्छा उपाय ढूँढ लिया है। आम जनता को झूठे आकड़ों के मकडजाल में उलझाकर इन सरकारों ने अपनी खोखली नीतियों के द्वारा जड़ों में मटठा डालने का काम किया है जिसके दूरगामी परिणाम आने वाले वर्षो में दिखाई देगे।
उस समय जनता स्वयं को लुटा हुआ महसूस करेगी और अपनी असहाय अवस्था के प्रति पष्चाताप करेगी परन्तु आज सत्ता में बैठे लोग कहेंगे कि आत्मनिर्भरता का नारा दिया गया था जिसे जनता ने समझने में भूल की थी जिसका फल जनता ही भुगतेगी।
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