तुमने खेली आंख मिचौली,
दिल को बड़ा दुखाया ।
कोई दवा दुआ भी न लगी 
ऐसा रोग लगाया,
करे जो कभी शिक़ायत हम
तो बढ़ते हैं कुछ और भी ग़म 
अभी है दिल में बड़ी चुभन
ये आँखे बरषी हैं छन छन 
धीरे धीरे! कम होगी उदासी ...1

अभी हैं कुछ नए नए से हम,
अभी हैं कुछ दिल में उम्मीदे कम
अभी है कुछ घुटा घुटा सा दम
अभी हैं सब नया नया मौषम
धीरे धीरे!कम होगी उदासी..
2
अभी तो दिल के जख्म नए हैं
प्यारे से मौषम में 
सूना सूना आँगन है और ,
बिखरी सी खुशबू
अभी तो आँखे भरी हैं,
देखे आंसू कब रुकते हैं
अभी हैं बस दिल में उम्मीदे कम 
अभी हैं बस बुझा हुआ ये मन 
धीरे धीरे ! कम होगी उदासी .3
धीरे धीरे कम होगी उदासी ....

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   प्रियंका द्विवेदी
   मंझनपुर, कौशांबी
   उत्तर प्रदेश

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