दुनियाँ के कई डाक्टर्स इस बात को मानते है की मानव शरीर की रचना इस तरीके से
हुई है की शरीर मे उत्पन्न कई बीमारियों का इलाज वह स्वयं मे कर लेता है उदाहरण के
तौर पर शरीर मे खून की सप्लाई की कई नलियों के ब्लॉक हो जाने पर नई नलियाँ स्वतः
सक्रिय हो जाती है | कई संक्रमण से हमारा शरीर लड़ने मे अपने आप सक्षम है | इसके
दूसरे पहलू को यानि मौसम की बात की जाए तो कई ऐसी संक्रमण वाली बीमारियाँ होती है जो
मौसम के हिसाब से आती-जाती है, जैसे फ्लू सर्द मौसम मे, टाइफाइड गर्मी के मौसम मे,
खसरे के केस गर्म इलाके मे गर्मी मे कम हो जाते है, जबकि नमी वाले जगह पर बढ़ते है |
अभी तक विशेषज्ञ कह रहे थे की कोविड-19 पर गर्मी का क्या असर होगा इसकी कोई स्पष्ट
जानकारी नहीं है | दुनियाभर मे इस पर रिसर्च लगातार जारी है |
यदि विश्वभर मे देखा जाए तो कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर वहाँ फैला जहां का
मौसम ठंडा रहा लेकिन विशेषज्ञों का कहना है की सिर्फ मौसम के भरोसे न बैठे क्योंकि
दुनियाँ भर के लिए यह वायरस नया है और इसके हर व्यवहार पर लगातार रिसर्च चल रहा है
| वर्ष 2002-03 मे सार्स वायरस जोकी कोविड-19 के करीब माना जाता है, जल्दी ही
कंट्रोल हो गया था | जिससे उस पर मौसम के असर का पता नहीं लगाया जा सका |
कुछ संकेत है जो इस बात पर बल दे रहें है की गर्मी बढ़ने से कोरोनावायरस पर
नियंत्रण हो सकता है | कोरोना वायरस की दूसरी किस्मों से 10 साल पहले यूके की
यूनिवर्सिटी एडीनबर्ग मे तीन तरह के कोरोनावायरस की किस्मों पर एक रिसर्च हुआ था
जिससे यह पता चला की वो सर्दी के मौसम मे एक्टिव रहते है | ये तीनों वायरस दिसम्बर
से अप्रैल के बीच इन्फेक्शन फैलते है | कुछ और और अप्रकाशित अध्ययन है जो
कोरोनावायरस पर मौसम के प्रभाव को दर्शाते है – एक स्टडी मे 500 लोकैशन का डाटा
देखा गया और वह सजेस्ट करता है की कोविड-19 का लिंक टेम्परेचर, हवा की गति और
रेलेटिव ह्यूमिडिटी से है | एक और अप्रकाशित स्टडी बताती है की ज्यादा गर्मी वाले जगहों
मे कोविड-19 के केस कम रहें है | लेकिन सिर्फ टेम्परेचर ही वह चीज नहीं है जिससे
यह निर्धारित किया जा सकें की किस जगह कोरोनावायरस का प्रकोप ज्यादे है या फिर कम
| एक और स्टडी कहती है की ऐसे इलाके मे जहां साल भर औसत तापमान 18 से अधिक रहा है
वहाँ भी कोविड-19 का प्रभाव सबसे कम रहा है | इसके अलावा लोगों के व्ययहार का भी इस
वायरस पर प्रभाव पड़ता है | पूरा डाटा आने मे अभी समय लगेगा ऐसे मे अभी रिसर्च करने
वाले लोग कंप्युटर मॉडलिंग के जरिएं ये सब अनुमान लगा रहें है |
यहा बड़ा प्रश्न यह है की कोरोनावायरस की बाकी कुछ किस्मे सीजनल क्यों है | कुछ
विशेषज्ञों का मानना है की कोरोनावायरस की कई किस्मे कम तापमान पर लम्बी अवधितक रहती
है जबकि अधिक तापमान पर कम समय तक |
प्रकृति और मौसम इंसानों के हमेशा अच्छे दोस्त रहे है और पूर्व मे भी कई बीमारियों
के नियंत्रण मे सहायक भी रहें है | भारत मे मौसम तेजी से बदल रहा है और यह उम्मीद की
जा सकती है गर्मी का मौसम कोरोनावायरस को फैलने से रोकने मे सहायक होगा और अगर ऐसा
हुआ तो कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सरकार को अच्छा समय मिल पाएगा | फिलहाल अभी इस जंग
को जीतने के लिए हम सब को सकारात्मक उम्मीद के साथ-साथ केंद्र/राज्य सरकार और स्थानीय
प्रशासन के सारें निर्देशों का पालन करना चाहिये जिससे हम कोरोनावायरस के लोकल ट्रांसमिशन
को रोक सकें |
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